Corona effect : शहरीकरण की ओर दौड़ की आंधी को कोरोना ने पलटा
कोरोना की आंधी ने अब इन्हें गांव वापस लौटने को मजबूर कर दिया है। इन लोगों की समस्या यह है कि अब गांवों में भी इन्हें सीधा प्रवेश नहीं मिल रहा है।
भागलपुर [संजय सिंह]। कहते हैं कि डाल से छूटा बंदर और घर से छूटा आदमी हमेशा बेचैन रहता है। कुछ ऐसा ही कोरोना के कहर के बाद लॉकडाउन के दौरान हुआ। इस दौरान दूसरे प्रांतों से एक लाख से अधिक लोग लौटकर सूबे में अपने-अपने घर आ चुके हैं। 10 हजार विदेशी भी अपने घर लौट चुके हैं।
इनमें से कुछ गांव से दूर शहरी चकाचौंध के कारण शहर और विदेश में थे, तो अधिकांश लोग रोजी-रोटी की समस्या के कारण घर से बाहर थे। अब शहरीकरण का चकाचौंध इनपर भारी पड़ रहा है। कोरोना की आंधी ने अब इन्हें गांव वापस लौटने को मजबूर कर दिया है। इन लोगों की समस्या यह है कि अब गांवों में भी इन्हें सीधा प्रवेश नहीं मिल रहा है। कई गांवों के लोगों ने तो गांव के रास्ते पर ही बैरियर लगा दिया है। कुछ लोग जो पूर्व से गांव पहुंच चुके थे, उनसे पड़ोसी दूरी बनाने लगे। कई पड़ोसियों ने तो पुलिस तक को फोन कर ऐसे लोगों को जांच के लिए अस्पताल भिजवा दिया। ऐसे लोगों के लौटने से पुलिस की परेशानी बढ़ गई है। पहले पुलिस अपराधी के पीछे रहती थी, अब पुलिस को बाहर से आने वालों के बारे में भी फोन आ रहे हैं। यहां तक कि कई मामलों में यदि किसी को बुखार है या छींक आ गई, तब भी लोग कोरोना की आशंका जता पुलिस को फोन कर रहे हैं। गुजरात में फंसे भागलपुर के मजदूर किशोर यादव, मुकेश यादव, रूपेश यादव आदि का कहना है कि उन्हें कोरोना से अधिक भूख से मौत का भय सता रहा है। फैक्ट्री में काम बंद होने के बाद मालिकों ने दवा, भोजन और रहने तक की व्यवस्था नहीं की। मजदूरों के पास पैसे भी समाप्त हो चुके हैं और गांव लौटने का भी कोई साधन नहीं है। ये लोग बेसब्री से लॉकडाउन समाप्त होने का इंतजार कर रहे हैं।
विदेश से आए लोगों की सूची
जमुई : 138
लखीसराय : 05
मुंगेर : 36
सुपौल : 00
सहरसा : 05
मधेपुरा : 05
अररिया : 16
खगडिय़ा : 01
किशनगंज : 32
कटिहार : 10
पूर्णिया : 00
भागलपुर : 60
बांका : 27
जिला : परदेस में रहने वालों की संख्या : लौटकर आए लोग
जमुई : 1,26,000 : 4,100
लखीसराय : 1,56,000 : 418
मुंगेर : 3,00,000 : 6,000
सुपौल : 10,00,000 : 387
सहरसा : 3,50,000 : 3900
मधेपुरा : 1,70,000 : 1,700
अररिया : 7,50,000 : 4,000
खगडिय़ा : 5,00,000 : 3,316
किशनगंज : 1,50,000 : 10,000
कटिहार : 4,50,000 : 3,500
पूर्णिया : 5,00,000 : 2,275
भागलपुर : 4,72,000 : 22,000
बांका : 2,00,000 : 12,000
बेरोजगारी और गरीबी के कारण ही बिहार में पलायन अधिक है। सरकार जब तक कृषि आधारित उद्योग को बढ़ावा नहीं देगी, तब तक पलायन नहीं रुकेगा। - डॉ. मनोज कुमार मंडल, प्राध्यापक, अर्थशास्त्र विभाग, आरडी एंड डीजे कॉलेज, मुंगेर
लोग बाहर से काफी संख्या में लौट रहे हैं। यह खतरनाक स्थिति है। यदि शारीरिक दूरी का पालन नहीं किया गया तो स्थिति बिगड़ सकती है। - डॉ. आलोक कुमार, चिकित्सक, भागलपुर