'कछुए' की बाट जोह रहा पुनर्वास केंद्र
सुंदर वन में बनाया गया बिहार का इकलौता कछुआ पुनर्वास केंद्र अपने मेहमान की बाट जोह रहा है। निर्माण के महीने भर बाद भी केंद्र को अब तक एक भी कछुआ नहीं मिल सका है।
भागलपुर। सुंदर वन में बनाया गया बिहार का इकलौता कछुआ पुनर्वास केंद्र अपने मेहमान की बाट जोह रहा है। निर्माण के महीने भर बाद भी केंद्र को अब तक एक भी कछुआ नहीं मिल सका है।
इस केंद्र में तस्करी या शिकार के दौरान घायल हो चुके कछुओं का रखा जाना है। उनका उपचार किया जाना है लेकिन पिछले एक महीने में राज्य में कछुआ तस्करी का कोई मामला पकड़ में नहीं आया है। केंद्र प्रायोजित योजना के तहत 16 लाख की लागत से यह पुनर्वास केंद्र बनाया गया है। यहां कछुओं को रखने की सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं। जमीन पर रहने वाले कछुओं के लिए बाड़ और पानी में रहने वाले के लिए तालाब बनाए गए हैं। घायल या बीमार कछुओं का इलाज पुनर्वास केंद्र में ही किया जाना है। इसके लिए बाहर से पशु चिकित्सक बुलाए जाएंगे। स्वस्थ होने पर इन्हें गंगा में छोड़ा दिया जाएगा। मार्च में उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी इस पुनर्वास केंद्र का उद्घाटन करेंगे, लेकिन अब तक केंद्र को कोई कछुआ नहीं मिला है।
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20 नाखून वाले कछुओं की तस्करी ज्यादा
बीस नाखून वाला कछुआ करोड़ों में बिकता है। पश्चिम बंगाल और उत्तरप्रदेश से ज्यादा तस्करी हो रही है। इसकी रोकथाम के लिए ट्रेनों, बसों में छापेमारी की जा रही है लेकिन अबतक कछुआ नहीं मिला है।
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320 प्रजातियां हैं
कछुए की 320 प्रजातियां हैं। इनमें से कई विलुप्त होने के कगार पर हैं। वर्तमान में कछुओं की कई छोटी प्रजातियों को पालतू के तौर पर पाला जाने लगा है। कछुए का लोग शिकार भी कर रहे हैं।
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पुनर्वास केंद्र निर्माण में कितना समय लगा और कितने हुए खर्च
-एक साल में पूरा हुआ पुनर्वास केंद्र
-निर्माण में 18 लाख रुपये खर्च हुए हैं
-वित्तीय वर्ष 2018-19 में सरकार से मिले छह लाख रुपये
-वित्तीय वर्ष 2020-21 में शेष 12 लाख रुपये मिलने की है उम्मीद
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कोट
कछुए का शिकार ज्यादा हो रहा है। पुनर्वास के लिए कार्रवाई की जा रही है। अबतक एक भी कछुआ नहीं मिला है। मार्च में पुनर्वास केंद्र का उद्घाटन उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी द्वारा करने की उम्मीद है।
-एस सुधाकर, डीएफओ, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग।