बिहार: हजारों करोड़ का हुआ था सृजन घोटाला, अब हवाला से भी जुड़ते दिख रहे तार
बिहार में सृजन घोटाला उजागर होने के बाद लोगों को विश्वास नहीं हो रहा था कि इस तरह कैसे इतनी चालाकी से इसे अंजाम दिया गया था। अब इस घोटाले के तार हवाला कारोबार से जुड़ रहे हैं।
भागलपुर [संजय सिंह]। सिल्क सिटी में हवाला का कारोबार भ्रष्टाचार के पैसों पर टिका है। इस धंधे में लगे लोगों के तार पूर्व में सृजन घोटाले से भी जुड़े रहे हैं। कागजी सुबूत न होने की वजह से न तो पुलिस इनके खिलाफ कार्रवाई कर पाती है न ही आयकर विभाग।
कुछ महीने पूर्व बांका में भी हवाला कारोबारियों की मोटी रकम स्कॉर्पियो में पकड़ी गई थी। तब इस रकम का कोई दावेदार सामने नहीं आया। बाद में भागलपुर के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से यह राशि लौटाई जा सकी। यह घटना कुछ दिनों तक शहर के व्यवसायियों के बीच सुर्खियों में रही।
हवाला कारोबारी गिरफ्त से बाहर
सृजन घोटाले में सीबीआइ ने बैंककर्मियों और सरकारी कर्मचारियों को भ्रष्टाचार के आरोप में सलाखों के पीछे तो किया, लेकिन हवाला कारोबारी अब तक सीबीआइ की गिरफ्त से बचे हुए हैं।
रिश्वत का माल भी हवाला में
रिश्वतखोरों ने चढ़ावा लेने का अपना तरीका बदल लिया है। अधिकांश कार्यालयों में सीसीटीवी है, जिससे पकड़ में आने का भय बना रहता है। निगरानी विभाग की भी नजरें ऐसे अधिकारियों व कर्मियों पर रहती हैं। परिणामस्वरूप अब रिश्वत की लेनदेन कुछ व्यवसायियों के माध्यम से होने लगी है।
अधिकारियों द्वारा इस बात का संकेत संबंधित व्यक्ति को दे दिया जाता है। काम होने के पूर्व मोटी रकम वहां पहुंच जाती है। हवाला कारोबारी इस राशि को अपने धंधे में लगाते हैं। धंधे से हुए मुनाफा और मोटी रकम के एवज में सूद का भुगतान संबंधित व्यक्ति को किया जाता है। इस तरह उनकी मोटी पूंजी बनी रहती है और सूद की राशि आती रहती है।
बस लूट के बाद खुल सकते हैं कई मामले
झारखंड के दुमका के मसानजोर में 27 अगस्त को कोलकाता जा रही बस में लूटपाट के बाद हवाला का मामला सामने आया है। दुमका के एसपी ने कहा है कि इसमें भागलपुर से हवाला का एक करोड़ रुपया आ रहा था। इसे पहुंचाने का ठेका चालक को दिया गया था। उसी ने लूटपाट कराई थी। पुलिस तफ्तीश में कई मामले खुल सकते हैं।
कहा-डीआइजी भागलपुर ने
पुलिस के संज्ञान में मामला सामने आने पर उसकी जांच कराई जाएगी। जांच के बाद दोषियों पर विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी।
विकास वैभव, डीआइजी, भागलपुर
क्या है सृजन घोटाला
'सृजन घोटाला' अपने आप में अनोखा घोटाला है इसका नाम सृजन घोटाला इसलिए पड़ा क्योंकि कई सरकारी विभागों की रकम सीधे विभागीय ख़ातों में न जाकर या वहां से निकालकर 'सृजन महिला विकास सहयोग समिति' नाम के एनजीओ के छह ख़ातों में ट्रांसफ़र कर दी जाती थी और, फिर इस एनजीओ के कर्ता-धर्ता जिला प्रशासन और बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी पैसे की हेरा-फेरी करते थे।
इस घोटाले को अंजाम देने का ढंग अपने आप में अनोखा है। घोटाले में 'फर्ज़ी सॉफ़्टवेयर बनाकर पासबुक को अपडेट किया जाता था। उसी सॉफ़्टवेयर से बैंक स्टेटमेंट निकाला जाता था। यह फ़र्ज़ी स्टेटमेंट बिल्कुल वैसा ही होता था, जैसा किसी सरकारी विभाग के इस्तेमाल और खर्च का होता था। दिलचस्प बात यह है कि घोटाले से जुड़े लोग इसी फ़र्ज़ी सॉफ़्टवेयर के ज़रिए इस राशि का ऑडिट भी करवा देते थे।'