श्रावणी मेला : सड़क किनारे फूस की कुटिया में विश्राम करेंगे कांवरिये Bhagalpur News
बिहार सरकार ने 2018 में श्रावणी मेला को राजकीय मेला घोषित किया है। घोषणा के साथ ही कांवरियों को लगा था कि 2019 के श्रावणी मेले में काफी बदलाव देखने को मिलेगा।
भागलपुर [नवनीत मिश्र]। कांवरियों को इस बार भी फूस की बनी निजी कुटिया में विश्राम करना पड़ेगा। कांवरिया पथ के दोनों ओर सैकड़ों निजी कुटिया तैयार हो रहे हैं। अगले दो-तीन दिनों में इनका निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। कुटिया में आराम करने के एवज में कांवरियों को मोटी रकम चुकानी होगी। इनमें कई चौंकियां लगी रहेंगी।
बिहार सरकार ने 2018 में श्रावणी मेला को राजकीय मेला घोषित किया है। घोषणा के साथ ही कांवरियों को लगा था कि 2019 के श्रावणी मेले में काफी बदलाव देखने को मिलेगा। लेकिन 12 जुलाई से आने वाले कांवरियों को इस वर्ष यहां कहीं कुछ ऐसा नहीं दिखेगा, जिससे लगे कि यह मेला अब सच में बिहार का भी राजकीय मेला है।
बाबा अजगवी नाथ धाम में कांवरियों के ठहरने के लिए चार यात्री निवास है जिनका नियंत्रण और रखरखाव नगर परिषद के जिम्मे है। प्रखंड कार्यालय परिसर, सरकारी बस स्टैंड, कृष्णगढ़ चौक स्थित सरकारी अस्पताल परिसर और सीतारामपुर में बने दो मंजिले यात्री निवास की क्षमता मुश्किल से दो हजार लोगों के एक साथ बैठने की है। हालांकि सुल्तानगंज पहुंचने वाले अधिकांश कांवरिया ट्रेनों-बसों और लग्जरी गाडिय़ों से आते ही सीधे गंगा में डुबकी लगाते हैं और कांवरिया पथ पर निकल लेते हैं। वही कांवरिया सुल्तानगंज में विश्राम करते हैं, जो वीआइपी होते हैं और फ्रेश होने के लिए कमरा बुक करते हैं। ये लोग मौसमी होटल में ठहरते हैं। ऐसे होटलों की संख्या डेढ़ सौ से अधिक है। यहां बड़े बैनरों पर लिखा मिलेगा शौचालय, पंखा, जेनरेटर के साथ ठहरने की उत्तम व्यवस्था, लेकिन इन मौसमी होटलों में भी कांवरियों को कमरे या हॉल में लेटने मात्र के लिए जो दरें चुकानी होती हैं उसके सामने महानगरों के होटल टिक नहीं पाएंगे। शहर में जो गिनती के होटल हैं, उसमें तीन चार महीने पूर्व से ही बुकिंग हो चुकी है। कांवरियों को सबसे अधिक परेशानी कांवरिया पथ पर होगी। कच्ची कांवरिया पथ पर कुमरसार के पहले कोई सरकारी धर्मशाला नहीं है। कुमरसार में एक मात्र सरकारी धर्मशाला है, जहां कांवरिया ठहर सकेंगे।
भागलपुर जिला प्रशासन हर साल धांधी-बेलारी में टेंट डालता है। यहां कांवरियों के ठहरने के साथ-साथ मनोरंजन की भी व्यवस्था रहती है। कांवरियों को स्वास्थ्य सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है। इस बार भी यह सुविधा कांवरियों को मिलेगी। इसके बाद कांवरियों को आराम करने या फिर रात्रि विश्राम करने के लिए कुटिया का ही सराहा लेना पड़ेगा। जहां एक चौकी पर आराम करने की कीमत पांच सौ से हजार रुपये चुकता करना पड़ेगा। कांवरिया पथ के दोनों ओर दुकानें लगने लगी हैं। यहीं कांवरियों के ठहरने के लिए चौकी की भी व्यवस्था रहेगी, जो रुपये खर्च करना नहीं चाहेंगे, उन्हें कुछ अतिरिक्त दूरी तय कर स्कूलों में ठहरना होगा। जहां न तो रोशनी की व्यवस्था होगी और न ही पंखा की।
ये हैं ठहराव स्थल
नई सीढ़ी घाट रोड, कृष्णानंद उच्च विद्यालय, दरबारी सिंह उच्च विद्यालय, आदर्श मध्य विद्यालय, कांवरिया धर्मशाला (सरकारी बस पड़ाव), सरदार चौधरी उच्च विद्यायल, महर्षि मेंही विश्रमालय ध्वजागली के निकट, इंद्रपुरी होटल, जायसवाल होटल और रामेश्वर रेस्ट हाउस सहित कई निजी विद्यालय।
बांका के कांवरिया पथों में आने वाले प्रमुख स्थान
भूतनाथ, सरकारी धर्मशाला, इनारावरण, लक्ष्मणझुला, रानी सती, देवासी, कोलुठा, राजवाड़ा, जमुआ मोड़, कांवरिया धर्मशाला, विश्वकर्मा नगर, सतलेटवा, अबरखा, आमा टिल्हा, शिवलोक, गड़ुआ, सुईया, जिलेबिया मोड़, दुम्मा, पटनिया, गोडिय़ारी, हरखार और भूल-भूलैया।