सिस्टम के चक्रव्यूह में फंसा कतरिया नदी पर राजपुर-शिवायडीह-मुरहन पुल Bhagalpur News
पुल बनाने का ठेका वर्ष 2006 में एनबीसीसी को मिला था। एकरारनामा के अनुसार समय सीमा पर काम पूरा नहीं करने पर संवेदक का एकरारनाम रद कर ग्रामीण कार्य विभाग (आरईओ) ने री-टेंडर किया।
भागलपुर [आलोक कुमार मिश्रा]। राजपुर-शिवायडीह-मुरहन पथ को जोडऩे के लिए कतरिया नदी पर बनाया जा रहा पुल व्यवस्था के चक्रव्यूह में फंस गया है। 13 सालों से इसका निर्माण नहीं हो सका है। तीन करोड़ रुपये बजट वाले इस पुल का निर्माण 2006 में ही शुरू हुआ था। 2009 तक में इसे चालू हो जाना था।
पुल बनाने का ठेका वर्ष 2006 में एनबीसीसी को मिला था। एकरारनामा के अनुसार समय सीमा पर काम पूरा नहीं करने पर संवेदक का एकरारनाम रद कर ग्रामीण कार्य विभाग (आरईओ) ने री-टेंडर किया। री-टेंडर में इंडिया प्रोग्रेसिव को मिला। संवेदक ने पुल का गर्डर चढ़ा दिया। काम के मुताबिक जब इंडिया प्रोग्रेसिव को विभाग द्वारा ऑनलाइन भुगतान होने लगा तो वर्क एनबीसीसी दिखा रहा था। इसकी वजह से इंडिया प्रोग्रेसिव को 40 लाख रुपये भुगतान नहीं हो सका।
तीन साल पूर्व इस मामले में मंत्रालय से विभाग द्वारा पत्राचार किया गया। दिसंबर 2018 में विभाग ने फिर विवरणी मंत्रालय को भेजा। फरवरी 2019 में आइ नेशनल रूरल रोड डेवलपमेंट एजेंसी (नराडा) और मंत्रालय से संयुक्त सचिव की टीम को विभाग द्वारा विस्तृत जानकारी उपलब्ध करा दी गई। सिस्टम में एनबीसीसी का नाम हटाने और इंडिया प्रोग्रेसिव का नाम अंकित करने का मामला अबतक मंत्रालय में फंसा हुआ है। इसकी वजह से पुल निर्माण कार्य बाधित है। अबतक सिर्फ पुल का गर्डर चढ़ा दिया गया है। निर्माण पूरा नहीं होने से कुरपट, अमडांड़, महेशपुर, सबौर, तातपुर रंगा, बैजलपुर, शिवायडीह, बैजनाथपुर, प्रशस्तडीह, सिमरोह समेत दो दर्जन से अधिक गांवों के 80 हजार से अधिक लोगों को बारिश मौसम में आवागमन की समस्या खड़ी होगी।
वहीं कहलागांव, सबौर, गोराडीह प्रखंडों को जोडऩे वाली सड़क भी तेरह सालों से नहीं बन सकी है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत आठ किलोमीटर लंबी सड़क राजपुर, शिवायडीह और मुरहन को जोड़ेगी। इस सड़क के बनने से जगदीशपुर, सन्हौला और घोघा से भी मिलेगा।
राम मनोहर ठाकुर (कार्यपालक अभियंता, ग्रामीण कार्य विभाग, भागलपुर प्रमंडल) ने कहा कि पहले चेक के माध्यम से संवेदक को भुगतान होता था। ऑनलाइन भुगतान के दौरान पता चला कि एनबीसीसी का नाम सिस्टम से हटा नहीं है। पुल निर्माण का कार्य अभी भी इसी एजेंसी का दिखा रहा है। सिस्टम में एनबीसीसी का नाम हटाकर इंडिया प्रोग्रेसिव का नाम डालने के बाद ही राशि का भुगतान होगा। इसके बाद पुल और इसके पहुंच पथ का निर्माण होगा।