ट्रेनों की रफ्तार बढ़ेगी और यात्रा भी सुखद होगा, जानिए क्या है रेलवे की योजना
उच्च स्तरीय तकनीक से लैस इस एलएचबी कोच में बेहतर शॉक एक्जावर का उपयोग होता है। जिससे कम आवाज होती है और यात्रियों को झटकों का अहसास नहीं होता। स्पीड भी ज्यादा रहती है।
भागलपुर [जेएनएन]। भागलपुर से खुलने वाली कुछ और महत्वपूर्ण गाडिय़ां 2020 तक एलएचबी कोच से चलेगी। अभी यहां से विक्रमशिला और अंग एक्सप्रेस एलएचबी (लिंक हॉफमैन बुश) कोच वाली रैक से चल रही है। कामख्या-गया को भी एलएचबी कोच से चलाया जा रहा है। यह कोच लग जाने के बाद न सिर्फ ट्रेनों की रफ्तार बढ़ेगी बल्कि यात्रा भी सुखद होगा। एलएचबी कोच में पुराने कोच की अपेक्षा स्लीपर सीटों की संख्या ज्यादा है। इसकी खासियत यह है कि तेज रफ्तार में अगर कोई हादसा भी हो जाए तो यात्रियों को नुकसान कम होता है। दरअसल, भागलपुर लोकमान्य एलटीटी एक्सप्रेस, सूरत एक्सप्रेस, भागलपुर नई दिल्ली साप्ताहिक एक्सप्रेस, फरक्का एक्सप्रेस, भागलपुर अजमेर एक्सप्रेस और ब्रह्मपुत्र मेल में पुराने आइसीएफ रैक लगे हैं। आइसीएफ रैक का बनना बंद हो गया है। इस कारण एलएचबी से ही महत्वपूर्ण ट्रेनों को चलाने की योजना रेलवे की है। एलएचबी कोच का प्रयोग राजधानी एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस, दुरंतो एक्सप्रेस, डबल डेकर एक्सप्रेस, अंत्योदय एक्सप्रेस, हमसफर एक्सप्रेस, विक्रमशिला, अंग और कई महत्वपूर्ण सुपरफास्ट में किया जा रहा है।
-02 ट्रेनों का अभी हो रहा परिचालन
-72 की जगह 80 हो जाएगी स्लीपर में सीट
-100 किमी की जगह 130 अधितकतम हो जाएगी स्पीड
हाई टेक्नोलॉजी से बना है रैक
उच्च स्तरीय तकनीक से लैस इस कोच में बेहतर शॉक एक्जावर का उपयोग होता है। जिससे कम आवाज होती है और यात्रियों को झटकों का अहसास नहीं होता। वजन में हल्के कोच डिस्क ब्रेक के कारण कम समय व कम दूरी में बेहतर काम करते है। सीबीसी कपलिंग के कारण ये कोच दुर्घटना में भी नहीं टूटते और डिब्बे एक-दूसरे पर नहीं चढ़ते। कोच में कंट्रोल्ड डिस्चार्ज टायलेट सिस्टम ट्रेन के रुकते ही शौचालय के दरवाजों को बंद कर देती है। इस तरह शौचालय का इस्तेमाल स्टेशन पर नहीं हो सकता।