बिना स्वास्थ्य कर्मी के ही संचालित हो रहे 16 उपस्वास्थ्य केंद्र
चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों की कमी के कारण स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह से चरमरा सी गई है। ऐसे में मरीजों को इलाज के लिए समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
मधेपुरा। राज्य सरकार भले ही बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने के लाख दावे करे लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ नहीं दिख रहा है। चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों की कमी के कारण स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह से चरमरा सी गई है। ऐसे में मरीजों को इलाज के लिए समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
दरअसल, प्रखंड क्षेत्र में अवस्थित 16 उपस्वास्थ्य केंद्रों की हालत काफी दयनीय है। इन सभी उपस्वास्थ्य केंद्रों में जहां एक भी कर्मी पदस्थापित नहीं है। वहीं सभी केंद्र सुविधा विहीन भी हो गए हैं। जबकि भूमि व भवन विहीन अधिकांश उप स्वास्थ्य केंद्र अभी भी कागज पर ही चलाए जा रहे है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर ग्रामीण क्षेत्र में मरीजों को स्थानीय उपस्वास्थ्य केंद्रों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल पाती तो लोगों को इलाज के लिए शहर नहीं जाना पड़ता।
स्वास्थ्य विभाग बना उदासीन
प्रखंड क्षेत्र में डुमरैल, बालाटोल, कुरसंडी, सपरदह, दुर्गापुर, नरदह एवं बंशगोपाल में संचालित केंद्रों को जमीन व भवन दोनों उपलब्ध है लेकिन रख-रखाव के अभाव में उपकेंद्र जर्जर हो रहे हैं। वहीं मकदमपुर एवं अम्भोबासा में जमीन उपलब्ध रहने के बावजूद भवन निर्माण नहीं हो पाया है। जबकि भटौनी, चटनमा, बघरा, योगीराज, खेरहो, कड़ामा एवं बासुदेवपुर में उपस्वास्थ्य केंद्र को न तो अपनी जमीन है और न ही भवन। इन स्थानों पर अन्य सरकारी भवन में उक्त स्वास्थ्य केंद्र को महज कागज पर संचालित किया जा रहा है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है लेकिन विभाग उदासीन बना हुआ है।
नहीं हैं स्वास्थ्यकर्मी
विभागीय प्रावधान के अनुसार उपस्वास्थ्य केंद्र को बेहतर तरीके से संचालन करने के लिए प्रति केंद्र दो एएनएम, एक फार्मासिस्ट, एक बीएचडब्ल्यू एवं एक कम्पाउंडर की नियुक्ति की जानी चाहिए थी लेकिन एक भी कर्मी पदस्थापित नहीं है। ऐसे में बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के दावे का सहज रूप से अंदाजा लगाया जा सकता है।
बहरहाल इस संबंध में पुरैनी पीएचसी प्रभारी डॉ.विनीत कुमार ने बताया कि यहां संचालित सभी उपस्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति की जानकारी समय-समय पर विभाग को भेजी जा रही है। कर्मियों के पदस्थापना के बाबत कई बार विभाग को लिखा गया है। बावजूद इसके अभी तक एक भी कर्मियों को पदस्थापित नहीं किया गया है। कर्मियों के अभाव में जैसे-तैसे कार्य को निपटाया जा रहा है।