छह घंटे में 150 साल पुराना मसाढू पुल हुआ ध्वस्त, 10 जनवरी तक वाहनों के मार्ग में परिवर्तन
ब्रिटिशकालीन मसाढ़ू पुल के पाया में दरार पड़ गई थी। स्लैब धंस गया था। एनएच विभाग ने जुलाई 2016 में निरीक्षण के बाद इस पुल को रिजेक्ट घोषित करते हुए तत्काल दुरुस्त करने कहा था।
भागलपुर [जेएनएन]। 150 साल पुराने आर्क मसाढ़ू पुल छह घंटे में सोमवार को जमींदोज हो गया। पुल टूट जाने से भागलपुर और कहलगांव के बीच चार दिनों तक गाडिय़ों का सीधा परिचालन नहीं हो पाएगा। इसके बाद डायवर्जन के जरिये परिचालन शुरू किया जाएगा।
इस दौरान घोघा गोल सड़क-सन्हौला-गोराडीह-कोतवाली-जगदीशपुर होकर बड़ी गाडियां कहलगांव से भागलपुर आएंगी। जगदीशपुर-कोतवाली-गोराडीह-सन्हौला-घोघा गोल सड़क होते हुए गाडिय़ां भागलपुर से कहलगांव जाएंगी। वहीं, छोटी गाडिय़ां मसाढ़ू गांव से लैलख, घोघा गोल सड़क-सन्हौला-गोराडीह-जमशी-लोदीपुर होते गुजर सकती है। दस जनवरी तक पंद्रह से बीस किलोमीटर अधिक दूरी तय करना पड़ेगी।
देखते ही देखते ध्वस्त हो गया
दिन के 11 बजे मसाढ़ू पुल को तोडऩे का काम शुरू हुआ। शाम पांच बजे तक पुल को ध्वस्त कर दिया गया। दो पोकलेन से पुल को तोड़ा गया। इस पुल में छह पाए थे। विधि-व्यवस्था बनाए रखने के लिए मसाढ़ू में दंडाधिकारी तथा बड़ी संख्या में जवानों की प्रतिनियुक्ति की गई थी। एनएच-80 के कार्यपालक अभियंता, सहायक अभियंता और कनीय अभियंता स्थल पर मौजूद थे। इस दौरान कहलगांव की ओर जाने वाले कई वाहनों को रास्ते से लौटाया गया।
दो साल पूर्व 80 लाख रुपये खर्च कर कराई गई थी मरम्मत
ब्रिटिशकालीन मसाढ़ू पुल के पाया में दरार पड़ गई थी। स्लैब धंस गया था। एनएच विभाग के वरीय पदाधिकारियों ने जुलाई 2016 में निरीक्षण के बाद इस पुल को रिजेक्ट घोषित करते हुए तत्काल दुरुस्त करने कहा था। दुरुस्तीकरण मेंं 80 लाख रुपये खर्च हुए थे। मरम्मत पलक कंपनी से कराई गई थी। कार्य एजेंसी ने चार-पांच साल तक इस पुल में कोई दिक्कत नहीं आने का दावा किया था लेकिन दो साल में ही पुल का अस्थि-पंजर हिल गया। क्षतिग्रस्त पुल पर भारी वाहनों के परिचालन के दौरान बड़ी घटना की आशंका पर डीएम ने तोडऩे का निर्देश दिया था। तीन जनवरी को कही पुल तोडऩे की कार्रवाई होनी थी। नए मसाढ़ू पुल निर्माण होने तक डायवर्सन बना वाहनों का परिचालन किया जाएगा।
एनएच विभाग के कार्यपालक अभियंता राजकुमार ने कहा कि पुल तोडऩे के लिए चार दिनों का ट्रैफिक ब्लॉक लिया गया है। फिलहाल उसी जगह समतल कर ह्यूम पाइप डालकर डायवर्जन बनाया जाएगा। समय से काम पूरा नहीं होने पर एकाध दिन और वाहनों के परिचालन पर रोक लगाई जा सकती है। नए पुल के निर्माण के लिए वहीं पर तीन बीघा भूमि अधिग्रहण किया जाएगा। जमीन अधिग्रहण में 85 लाख रुपये खर्च होंगे। नए पुल के बनने तक डायवर्जन से ही वाहनों का परिचालन कराया जाएगा। नया पुल बनने में कम से कम एक साल लगेगा।
भू-अर्जन के अभाव में दो साल से अटका है मसाढ़ू पुल का निर्माण
सबौर और कहलगांव के बीच नए मसाढ़ू पुल निर्माण के लिए दो साल पूर्व स्वीकृति मिल चुकी है। लेकिन अबतक इस पुल के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण नहीं हो सका है। जून 2016 में मसाढ़ू पुल धंस गया था। एनएच विभाग के मुख्य अभियंता, रीजनल ऑफिसर समेत कई वरीय पदाधिकारियों ने इस पुल का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के बाद वरीय अधिकारियों ने रिजेक्ट घोषित कर पुराने पुल को तोड़ कर नए पुल बनाने की घोषणा की थी। नए पुल का टेंडर फाइनल हुए भी दो साल पूरा हो चुका है।
इस पुल के निर्माण में सात करोड़ रुपये खर्च होंगे। भूमि अधिग्रहण के लिए 85 लाख रुपये की मंजूरी भी मिल गई है। लेकिन अबतक भूमि अधिग्रहण नहीं हो सका है। भूमि अधिग्रहण के अभाव में पुल निर्माण की समस्या खड़ी हो गई है। सबौर से रमजानीपुर तक सड़क निर्माण का टेंडर पलक इंफ्रा प्रोजेक्ट को टेंडर मिला है। टेंडर 48 करोड़ की है। सड़क के साथ ही मसाढ़ू पुल निर्माण भी टेंडर में शामिल है। मसाढ़ू पुल निर्माण के लिए सात करोड़ रुपये आवंटित की गई है। जिसमें 85 लाख रुपये भूमि अधिग्रहण के लिए मंजूर की गई है। नए पुल की लंबाई और चौड़ाई पुराने पुल से अधिक होगी। दोनों ओर फुटपाथ बनेगा।
नवगछिया और पीरपैंती से भारी वाहनों के प्रवेश पर 10 जनवरी तक रोक
मसाढू पुल को तोडऩे के बाद नवगछिया और पीरपैंती की ओर से वाहनों के प्रवेश पर 10 जनवरी तक रोक लगा दी गई है। सोमवार को डीएम प्रणव कुमार और एसएसपी आशीष भारती ने संयुक्त आदेश जारी किया है। सात से 10 जनवरी तक वैकल्पिक यातायात व्यवस्था के लिए मार्ग का निर्धारण किया गया था। उक्त मार्ग पर भारी वाहनों के लगातार आवागमन से उत्पन्न भीषण जाम की स्थिति को देखते यह निर्णय लिया गया। इसके लिए दंडाधिकारी और संबंधित थानाध्यक्षों को पूर्व से पथ में फंसे सभी प्रकार के भारी वाहनों को कतारबद्ध तरीके से बाहर निकालने का निर्देश दिया गया है। नवगछिया और कहलगांव अनुमंडल अधिकारी को अपने-अपने क्षेत्रों में दंडाधिकारी सहित सुलिस बल प्रतिनियुक्त करने का निर्देश दिया गया है।