नियुक्ति घोटाला: 143 रिक्तियों की जगह 147 कर्मियों की हुई थी बहाली
निगरानी ने पाया कि कुल 143 रिक्तियों के विरुद्ध 147 कर्मियों की बहाली कर ली गई थी। बहाली के दौरान परीक्षा केंद्रों के निर्धारण व उपस्थिति पंजी के संधारण में अनियमितता बरती गई थी।
किशनगंज [जेएनएन]। करीब 11 साल पहले समाहरणालय व स्वास्थ्य विभाग में 147 चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों की अवैध बहाली के मामले में हुई निगरानी जांच में तत्कालीन जिलाधिकारी दयानंद प्रसाद फंस गए हैं। जिला स्थापना के तत्कालीन उप समाहर्ता व्यास मुनि प्रधान और तत्कालीन प्रधान लिपिक सदानंद शर्मा पर भी आरोप प्रमाणित हुए हैं। निगरानी ने शपथ पत्र के साथ अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंप दी है।
जांच में निगरानी ने पाया कि कुल 143 रिक्तियों के विरुद्ध 147 कर्मियों की बहाली कर ली गई। प्रवेश पत्रों के वितरण, परीक्षा केंद्रों के निर्धारण व उपस्थिति पंजी के संधारण में घोर अनियमितता बरती गई। निर्धारित अवधि बीतने के बाद भी आवेदन पत्र लेकर प्रवेश पत्र निर्गत किए गए। उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन में भी गड़बड़ी उजागर हुई।
आखिरकार मेधा सूची में हेराफेरी कर मनचाहे लोगों की बहाली की गई। इधर, हाईकोर्ट में शिकायतकर्ता उमाशंकर की पैरवी कर रहे वकील ऋषिकेश ओझा ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश पर निगरानी की ओर से उन्हें भी जांच प्रतिवेदन की कॉपी उपलब्ध कराई गई है।
कल छह दिसंबर को हाईकोर्ट में इस मामले पर अगली सुनवाई होगी। 16 अक्टूबर को डीएसपी श्याम किशोर प्रसाद और एसआइ दीनानाथ पासवान समेत दो सदस्यीय निगरानी टीम ने किशनगंज पहुंचकर मामले की जांच की थी। इससे पूर्व मेधा सूची में गड़बड़ी को लेकर पूर्णिया प्रमंडल के आयुक्त ने जिला प्रशासन को जांच के आदेश दिए थे।
आयुक्त के निर्देश पर तत्कालीन डीएम संदीप कुमार पुडकलकट्टी ने तीन सदस्यीय जांच टीम गठित कर दी। जांच टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट में नियुक्ति में बड़े पैमाने पर धांधली बरते जाने की पुष्टि की। डीएम ने रिपोर्ट प्रमंडलीय आयुक्त व निगरानी जांच विभाग के संयुक्त सचिव को भेज दी। साथ ही तत्कालीन डीएम ने अपने प्रतिवेदन में साक्ष्यों की अनुपलब्धता को देखते हुए निगरानी जांच की अनुशंसा की थी।
किशनगंज में चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों की बहाली में अनियमितता को लेकर तत्कालीन डीएम की संलिप्तता पाई गई है। जांच प्रतिवेदन हाईकोर्ट को सौंप दिया गया है।
- श्याम किशोर प्रसाद
डीएसपी, निगरानी