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TMBU : सर्वोच्य न्यायालय के आदेश पर 11 कर्मियों को मिला नियुक्ति पत्र

विवि द्वार जारी अधिसूचना में कहा गया है कि सेवा सामंजन सिंडिकेट और सरकार की स्वीकृति की प्रत्याशा में की गई है। लेकिन चूंकि सामंजन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर किया गया है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 27 Nov 2018 09:39 PM (IST)Updated: Wed, 28 Nov 2018 07:50 AM (IST)
TMBU : सर्वोच्य न्यायालय के आदेश पर 11 कर्मियों को मिला नियुक्ति पत्र
TMBU : सर्वोच्य न्यायालय के आदेश पर 11 कर्मियों को मिला नियुक्ति पत्र

भागलपुर [जेएनएन]। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय प्रशासन ने चतुर्थ चरण में अंगीभूत कॉलेजों में 11 कर्मियों को सेवा में अंतर्लीन किया है। इस आशय का आदेश कुलसचिव कर्नल अरुण कुमार सिंह ने सोमवार को जारी कर दिया है। ऐसे में अब इन कर्मियों के वेतन का रास्ता साफा हो गया है।

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अंतर्लीन किए गए कर्मियों की सेवा सबौर कॉलेज सबौर को दी गई है। विवि की कमेटी द्वारा वेतन निर्धारण किया जाएगा। इसके बाद वेतन सुनिश्चित किया जाएगा। बकाया वेतनादि का भुगतान विभागीय वेतन सत्यापन कोषांग से सत्यापन एवं पूर्व में भुगतान की गई राशि के सामंजन के पश्चात शेष बकाया राशि का भुगतान किया जाएगा। चतुर्थ चरण में अंगीभूत हुए कॉलेजों में कई वर्षों से असृजित और अस्वीकृत पदों पर शिक्षक और कर्मचारी कार्यरत थे। पूर्व में कई बार सरकार ने इन्हें वेतन नहीं देने का निर्देश दिया और विवि ने कभी इसका पालन कर वेतन रोक दिया तो कभी मानवीय आधार पर राशि का आवंटन भी करता रहा था। बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट गया था और कोर्ट ने इसे सुलझाने के लिए एसबी सिन्हा कमेटी गठित की।

एसबी सिन्हा कमेटी ने कुछ शिक्षकों और कर्मचारियों के सेवा सामंजन सहित अन्य प्रक्रियाएं अपने स्तर से तय कीं जबकि कुछ के मामले विवि को सौंप दिए थे। कोर्ट ने ऐसे कर्मियों की सेवा का सामंजन करने का आदेश दिया था और मामले को हल करने के लिए कमटी का गठन किया था। कोर्ट का आदेश सभी विवि पर लागू होने की स्थिति में कमेटी में टीएमबीयू के कर्मियों का मामला भी रखा गया था। कमेटी ने सेवा सामंजन विवि के स्तर पर करने को कहा था। इसके लिए विवि ने प्रॉक्टर डॉ. विलक्षण रविदास की अगुआई में एक कमटी गठित की थी। इसी कमेटी ने इन 11 कर्मियों की सेवा सामंजन का अनुमोदन किया था। सुप्रीम कोर्ट ने मगध विवि से जुड़े मामले में सेवा सामंजन का आदेश दिया था।

हालांकि वेतन प्राप्त करने के लिए अभी इन कर्मियों को थोड़ा और इंतजार करना होगा। विवि द्वार जारी अधिसूचना में कहा गया है कि सेवा सामंजन सिंडिकेट और सरकार की स्वीकृति की प्रत्याशा में की गई है। लेकिन चूंकि सामंजन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर किया गया है इसलिए सिंडिकेट और सरकार से स्वीकृति लेना सिर्फ औपचारिकता मानी जा रही है। इन्हें बकाए का भी भुगतान किया जाएगा।

विवि के इन कर्मियों को नहीं मिल रहा था वेतन

संबंधित कर्मियों को बीते 2009 से ही वेतन नहीं मिल रहा था। जारी आदेश के अनुसार प्रयोगशाला के राजेश कुमार झा को एक फरवरी 2015, अमरनाथ राय को 27 अप्रैल 1998, राजेंद्र प्रसाद झा को एक फरवरी 2012, मिथिलेश कुमार मिश्रा को एक अगस्त 2011 की तिथि से अंतर्लीन किया गया है। प्रयोगशाला प्रभारी मो. जावेद याशिन को एक सितंबर 2001, नवल किशोर ठाकुर को एक जनवरी 2014, रामाकांत मिश्रा को एक अप्रैल 2005, महेश प्रसाद राय को एक सितंबर 2012 की तिथि से अंतर्लीन किया गया है। लेखापाल सुधांशु शेखर झा को चार नवंबर 1987, पुस्तकाध्यक्ष अश्विन कुमार चौधरी को 27 नवंबर 1992, पत्राचार लिपिक जयप्रकाश झा को एक सितंबर 2012 की तिथि से अंतर्लीन किया गया है।


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