Move to Jagran APP

पर्यटन की असीम संभावनाएं, पर नहीं हो रहा कावर काअपेक्षित विकास

बेगूसराय मंझौल अनुमंडल के जयमंगलागढ़ स्थित कावर झील को भले ही अंतरराष्ट्रीय महत्व का दर्जा

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 05:12 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 05:12 PM (IST)
पर्यटन की असीम संभावनाएं, पर नहीं हो रहा कावर काअपेक्षित विकास
पर्यटन की असीम संभावनाएं, पर नहीं हो रहा कावर काअपेक्षित विकास

बेगूसराय : मंझौल अनुमंडल के जयमंगलागढ़ स्थित कावर झील को भले ही अंतरराष्ट्रीय महत्व का दर्जा मिल चुका हो, पर इसका अपेक्षित विकास नहीं हो सका है। यह झील बिहार का पहला और भारत का 39वां रामसर साइट है। यह प्रवासी पक्षियों और जैव विविधता के लिए मध्य एशियाई फ्लाइवे की महत्वपूर्ण आर्द्र भूमि (वेटलैंड) है। अच्छी बारिश के कारण इस समय यहां के जलकुंडों में करीब पांच हजार एकड़ क्षेत्र में जल है।

loksabha election banner

------------------

धरातल पर नहीं उतर सकी योजना

नवंबर 2019 में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने जलीय पारिस्थितिकीय (इको) संरक्षण सिस्टम प्लान के तहत कावर वेटलैंड के विकास के लिए प्रथम किस्त में 32 लाख 76 हजार आठ सौ की राशि निर्गत की। इससे जलीय एवं वन्य जीवों के विकास के साथ वेटलैंड प्रबंधन और जल संरक्षण आदि का काम किया जाना था, पर यह योजना धरातल पर नहीं उतर सकी।

------------------

जानें कावर झील के बारे में

यह झील बखरी एवं मंझौल अनुमंडल तक फैली है। दो जनवरी 1989 को वन मंत्रालय ने इसे देश भर के 10 रामसर साइट में शामिल किया। इसे 20 जनवरी 1989 को कावर पक्षी विहार घोषित किया गया। अधिकारियों द्वारा रामसर साइट के मानकों का पालन नहीं कर पाने के कारण वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इसे रामसर साइट से बाहर कर दिया। फिर यह सिर्फ एक वेटलैंड भर रह गया, जो पूरे देश में 94 हैं। इसे पुन: रामसर साइट में शामिल कर लिया गया।

-----------------

कीट-पतंग, पेड़-पौधे हैं पहचान

कावर झील को बचाने के लिए संघर्षरत पर्यावरण कार्यकर्ता राकेश कुमार सुमन बताते हैं कि यहां 150 किस्म के पेड़-पौधे और दो सौ से ज्यादा प्रजातियों के पक्षी हैं। इनमें 65 प्रकार के प्रवासी पक्षी भी हैं, जो यहां डेरा डालते हैं। यहां लगभग 50 प्रजाति की मछलियां भी पाई जाती हैं। कावर झील में फिनलैंड, साइबेरिया, रूस आदि से आने वाले लालसर, दिघौंच, डूंगरी, सराय, कारन, अधंखी, कोईरा, बोधन आदि पक्षियों का झुंड दिसंबर से फरवरी के अंतिम सप्ताह तक डेरा डाले रहता है।

-----------------

यहां जरूरत है संरक्षण की

रामसर साइट का महत्व बना रहे, इसके लिए जरूरी है कि प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा की व्यवस्था की जाए। पर्यटकों के लिए संसाधन एवं सुरक्षा का भी प्रबंध करना होगा। कार्ययोजना को अमलीजामा नहीं पहनाए जाने के कारण ही इसे एक बार रामसर साइट सूची से बाहर किया जा चुका है।

-----------------

क्या है रामसर साइट

आ‌र्द्र भूमि (वेटलैंड) के संबंध में रामसर कन्वेंशन वर्ष 1971 में ईरान के रामसर शहर में हुआ था। यह शहर ईरान के कैस्पियन सागर के दक्षिणी किनारे पर स्थित है। इसमें विभिन्न देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे और यह निर्णय लिया गया था कि दुनिया में जितने भी वेटलैंड हैं, उनके संरक्षण को सुनिश्चित किया जाएगा। इसलिए ऐसे चिह्नित क्षेत्रों को रामसर साइट कहा जाता है, जिसमें कावर झील भी शामिल है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.