सड़क हादसे में चाचा- भतीजे की मौत
बेगूसराय। अपने एकलौते पुत्र सोनू को पटना से रायबरेली जाने वाली ट्रेन में चढ़ाकर घर लौट रहे पिता एवं आल्टो चालक भतीजे की सड़क हादसे में मौत से गढ़पुरा का धरमपुर गांव सकते में है।
बेगूसराय। अपने एकलौते पुत्र सोनू को पटना से रायबरेली जाने वाली ट्रेन में चढ़ाकर घर लौट रहे पिता एवं आल्टो चालक भतीजे की सड़क हादसे में मौत से गढ़पुरा का धरमपुर गांव सकते में है। एक घर से दो-दो अर्थियां उटने से गांव शोकाकुल हैं। रोसड़ा थाना क्षेत्र के रहुआ के समीप मवेशी लदे पिकअप और ऑल्टो की टक्कर में धरमपुर निवासी संजय कुमार की मौत हो गयी वहीं भजीजा गंभीर रूप से घायल हो गया। । टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि ऑल्टो के परखच्चे उड़ गए । आल्टो की अगली सीट पर बैठे संजय की मौके पर ही मौत हो गयी वहीं आल्टो चालक भजीते मंतोष को गंभीर हालत में रोसड़ा से चिकित्सकों ने दरभंगा रेफर किया लेकिन रास्ते में ही उसने भी दम तोड़ दिया। दुर्घटनास्थल के पास मौजूद स्थानीय लोगों ने मृतक के मोबाइल के काल रिकार्ड से गांव के ही किसी नंबर पर फोन कर उक्त जानकारी दी तब परिजनों की दुर्घटना की जानकारी मिली। इधर रोसड़ा थानाध्यक्ष अमित कुमार ने भी गढ़पुरा थाने में फोन कर दुर्घटना की पुष्टि की। शव के धरमपुर पहुंचते ही गांव में जहां शोक की लहर दौड़ गयी है वहीं परिजनों के चित्कार की गूंज से गांव सकते में है। एक घर से दो-दो अर्थियां उटने से गांव में मातम पसरा है।
इन्सेट:
मुगलसराय से लौटा पुत्र, अधूरा रह गया नौकरी दिलाने का सपना
जागरण संवाददाता, बेगूसराय
अपने पिता और चाचा की दुर्घटना में मौत की जानकारी मिलते ही नौकरी पर योगदान करने जा रहे संजय कुमार के बेटे सोनू को मुगलसराय से वापस घर लौटना पड़ा जिससे मृतक का अपने बेटे को नौकरी दिलाने को सपना अधूरा ही रह गया। इस संबंध में मृतक संजय के छोटे भाई श्याम बिहारी ने बताया कि रायबरेली में सोनू के मौसा रेलवे में कार्यरत है। जिन्होंने रायबरेली के डीआरएम ऑफिस में डाटा ऑपरेटर के पद पर बहाल करवाए थे। शनिवार को योगदान करना था जिस कारण सोनू शपथ पत्र समेत अन्य जरूरी दस्तावेज बनवाकर पटना से रायबरेली की ट्रेन में सवार हुए थे। मालूम हो कि मृतक संजय की पत्नी पूनम कुमारी एनपीएस गढ़बर कुरबा में शिक्षिका है। संजय अपने पीछे पत्नी, एक पुत्र के अलावा तीन पुत्री को छोड़ गये हैं। अब मां के सामने सभी बच्चों को पढ़ाना एवं बेटी की शादी करने की चिता बढ़ गयी है। वहीं मंतोष तीन भाईयों में सबसे बड़े थे, उनके पिता महेश चौरसिया गढ़पुरा चौक पर पान का गुमटी खोलकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं और पुत्र गाड़ी चलाकर परिवार की जिम्मेदारी में हाथ बंटाते थे। मृतकों का शव पहुंचते ही बड़ी संख्या में ग्रामीणों की भीड़ जुटी रही और हर कोई शोक संतप्त परिजनों को ढ़ांढस दिलाते रहे।