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डाटा ऑपरेटरों की हड़ताल से चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था

बेगूसराय। बीते लगभग दो माह से जिले में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था बिल्कुल चरमरा गई है। स्थिति इतनी खर

By JagranEdited By: Published: Thu, 31 Jan 2019 05:10 PM (IST)Updated: Thu, 31 Jan 2019 05:10 PM (IST)
डाटा ऑपरेटरों की हड़ताल से चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था
डाटा ऑपरेटरों की हड़ताल से चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था

बेगूसराय। बीते लगभग दो माह से जिले में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था बिल्कुल चरमरा गई है। स्थिति इतनी खराब है कि प्रतिदिन सरकारी अस्पतालों से हजारों की संख्या में आमजन बिना इलाज कराये ही बैरंग लौटने को विवश हैं। वहीं स्वास्थ्य महकमा के प्रधान सिविल सर्जन अबतक ओपीडी सेवा को बहाल करने में सक्षम नहीं हो रहे। वहीं ओपीडी सेवा प्रभावित रहने से डॉक्टर भी अस्पताल में अपनी हाजरी लगा अपने अपने निजी क्लिनिक में चांदी काटने में लगे हैं।

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दो माह से जिला में ठप है ओपीडी सेवा : लगभग डेढ़ माह तक चले आशा कार्यकर्ताओं की हड़ताल और बीते 18 दिनों से डाटा इंट्री ऑपरेटरों की हड़ताल के कारण सदर अस्पताल हो या ग्रामीण क्षेत्रों के पीएचसी व एपीएचसी में ओपीडी व्यवस्था ठप चल रही है। जिला में आशा ने 12 सूत्री मांगों को ले डेढ़ माह तक सभी पीएचसी में धरना देकर ओपीडी व्यवस्था को ठप कर दिया था। आंदोलन के कारण जिले के हर प्रखंडों में संस्थागत प्रसव, ओपीडी सेवा और कार्यालयी कार्य प्रभावित हुए। जब आशा कार्यकर्ताओं की हड़ताल समाप्त हुई तो डाटा इंट्री ऑपरेटरों की हडताल आरंभ हो गई। सरकार द्वारा रोगियों के निबंधन की ऑनलाइन व्यवस्था के कारण जैसे ही डाटा ऑपरेटर हड़ताल पर गए सभी सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवा, दवा वितरण, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, पोस्टमार्टम रिपोर्ट सहित अन्य कार्य प्रभावित हो गए। डीएचएस से प्राप्त आंकड़ों पर नजर डालें तो विभिन्न अस्पतालों में प्रतिमाह औसतन डेढ लाख मरीजों का इलाज ओपीडी में किया जाता है। इन दो माह में लगभग तीन लाख से अधिक मरीजों को बंद का दंश झेलते हुए वापस लौटना पड़ा।

सरकारी अस्पतालों में इस समय चल रही सिर्फ इमरजेंसी सेवा : सदर अस्पताल की बात करें तो गुरुवार को प्रात: आठ बजे से लेकर दो बजे तक के इमरजेंसी सेवा में 162 मरीजों का इलाज किया गया। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के पीएचसी में भी बीते दो माह से सिर्फ प्रसव सेवा, दुर्घटना के मरीज और आपात रोगियों का ही इलाज हो पा रहा है।

कहते हैं सिविल सर्जन :

सरकार के निर्देश के अनुसार ओपीडी में रोगियों का ऑनलाइन निबंधन किया जाता था। डाटा ऑपरेटरों की हड़ताल से ऑनलाइन निबंधन ठप हो गया है। सदर अस्पताल सहित अन्य अस्पतालों में पूर्व की भांति मैनुअल तरीके से ओपीडी में पुर्जी काटकर उसका इलाज करने की व्यवस्था की जा रही है। अस्पताल पहुंचने वाले सभी रोगियों के इलाज की व्यवस्था की जा रही है।

डॉ. बजनंदन शर्मा, सिविल सर्जन


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