मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जी रहे नारायण पीपर के ग्रामीण
बेगूसराय। प्रखंड क्षेत्र के चारों तरफ कोसों दूर में फैले चौर बहियार कावर के कारण नारायण पीपर पंचायत की एक अलग पहचान है।
बेगूसराय। प्रखंड क्षेत्र के चारों तरफ कोसों दूर में फैले चौर, बहियार, कावर के कारण नारायण पीपर पंचायत की एक अलग पहचान है। लेकिन विकास के मामले में बिल्कुल पिछड़े इस पंचायत की 20 हजार की आबादी कई मूलभूत सुविधाओं यथा शुद्ध पानी, सड़क, अस्पताल आदि की सुविधाओं के लिये आज भी तरस रही है। इस बीच वार्ड सदस्यों के द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ खोले गए मोर्चे से यह पंचायत हमेशा ही चर्चा में रहा है। यहां किसानों को किसी प्रकार की सहायता नहीं मिल पा रही है। कई मूलभूत समस्याओं के बीच किसी तरह जीवन काट रहे यहां के ग्रामीण अपनी समस्याओं के समाधान नहीं कर पाने पर प्रतिनिधियों से काफी खफा हैं। लोकसभा चुनाव को ले हुई विभिन्न चर्चाओं में इन समस्याओं को पंचायत वासी प्रमुखता से व्यक्त कर रहे हैं।
भगवान भरोसे किसान :
शिव शंकर सिंह, गंगा प्रसाद यादव सहित बहियार में गन्ने का पटवन करवा रहे कई किसानों ने बताया कि इस पंचायत की शत प्रतिशत आबादी खेतीहर मजदूर, पशुपालक, किसानों की है जो ठेका-बटाई कर खेत में हाड़-तोड़ मेहनत करते हैं। लेकिन पटवन ने इन किसानों की कमर तोड़ कर रख दिया है। पंचायत में लगे सभी चार नलकूप यांत्रिक गड़बड़ी के कारण वर्षों से बंद पड़े हैं। नतीजन 150 रूपये प्रति घंटा की दर से खेत पटाने की मजबूरी हम किसानों के समक्ष है। इस कारण कम खेती करते हैं। काम के अभाव में लोग प्रदेश पलायन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुखिया से सांसद तक सभी हमारी समस्या का समाधान चुनाव जीतने के तुरंत बाद करने का आश्वासन दिया था। बावजूद इसके अभी तक कोई समाधान नहीं हो सका है।
अस्पताल बना भूत-बंगला :
नारायण पीपर के उप स्वास्थ्य केंद्र को अपग्रेड कर पांच वर्ष पूर्व ही अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा दिया गया है। यहां की रहने वाली गायत्री देवी, सुमन देवी सहित अन्य महिलाएं कहती हैं कि नया मकान पांच बरस पहले बन गया था। लेकिन अस्पताल में आज तक डाक्टर बाबू और नर्स का दर्शन नहीं हुआ है। यहां अभी तक दवा-दारू भी व्यवस्था नहीं हो पाई है। यह अस्पताल अब भूत-बंगला बना हुआ है। यहां लोग दिनभर ताश का खेलते रहते हैं।
जमीन की खरीद-बिक्री पर रोक लगाने से बढ़ी परेशानी :
पंचायत के सभी गांवों की जमीन कावर इलाके में है। घर तक की जमीन भी इसमें आती है। वर्ष 2014 में राज्य सरकार के द्वारा कावर इलाके के कृषि व गैर कृषि चिन्हित भूमि के क्रय-विक्रय व स्वरूप परिवर्तन पर रोक लगा देने से गरीब किसान मजदूरों पर आफत आ गई है। कावर के गुआवाड़ी इलाके में मिले किसान बाबू साहब राय, शिव शंकर सिंह आदि बताते हैं कि यह जमीन हमारी खतिहानी है। दो साल पहले बेटी का विवाह ठीक किये थे। जमीन का सारा सौदा हो गया था। लेकिन राज्य सरकार द्वारा जमीन की बिक्री पर रोक लगाने से जमीन नहीं बिक सकी। जिसकी वजह से बेटी का विवाह भी कैंसिल हो गया। सड़कों की स्थिति भी जर्जर :
यहां के विभिन्न पंचायतों में अलग- अलग योजनाओं के तहत कई सड़क का निर्माण कराया गया। लेकिन खराब गुणवत्ता के कारण सड़कें साल दो साल भी नहीं चल सकी। गुआवाड़ी- छौड़ाही सड़क, बड़ी जाना से सिरसी रोड अति महत्वपूर्ण सड़क हैं। ये सड़कें ऐसी हैं कि यहां पैदल चलना भी खतरे से खाली नहीं है। सड़क किनारे खड़ी नूसरत खातून बताती है कि सड़क पर बजबजाती गंदगी आप भी देखिये। जल निकासी के उपाय किये बगैर सड़क बनाने से यह समस्या उत्पन्न हुई है। बताया कि अस्पताल जा रहे थे प्रसव कराने। लेकिन जर्जर सड़क की वजह से रास्ते में ही प्रसव हो गया।
खरीद कर पीते हैं पानी :
पंचायत का भूगर्भ जल स्त्रोत अत्यधिक आयरन व ऑर्गेनिक प्रभावित है। यहां चापाकल से लाल एवं पीला जल पानी निकलता है जिसे पीना तो छोड़िए, लोग कपड़ा धोना भी पसंद नहीं करते। इस संबंध में रामचरित्र महतो बताते हैं कि हमारे गांव में प्रतिदिन 1500 डब्बे पानी की बिक्री होती है। प्रति डब्बा दाम 30 रुपये पड़ता है। 40 से 45 हजार का पानी प्रतिदिन खरीदकर पंचायतवासी पीते हैं। यहां नल-जल योजना, चापाकल योजना सब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है। यहां का कोई प्रतिनिधि इस पर ध्यान नहीं देता है।
कहते हैं पंचायत समिति सदस्य
पंचायत के विकास योजनाओं पर जिम्मेदार प्रतिनिधि व अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। सड़क आदि योजना में व्यापक गड़बड़ी के कारण यह हालत है। कई बार माननीय प्रतिनिधियों को इस समस्या से अवगत कराया गया है। लेकिन सांसद विधायक मुखिया आदि इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। इसको लेकर घोर समस्याओं में हमारा पंचायत है। इन सबों के ठीक हुए बिना पंचायत का विकास होना संभव नहीं दिखता है।
अरुण पासवान, पंसस