नक्सलियों से AK 47 की डील कर रहे थे IAS के रिश्तेदार, गच्चा खाकर पहुंच गए जेल
जबलपुर के सेना डिपो से एके 47 की तस्करी के तार मुंगेर के बाद अब बेगूसराय से भी जुड़ गए हैं। गिरफ्तार तस्कर का एक भतीजा उत्तर प्रदेश में पदस्थापित आइएएस अधिकारी भी है।
By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 24 Oct 2018 06:30 PM (IST)Updated: Wed, 24 Oct 2018 06:30 PM (IST)
बेगूसराय [राजीव शर्मा]। जबलपुर के सेना डिपो से एके 47 राइफलों की तस्कारी के तार बिहार के मुंगेर के बाद अब बेगूसराय से जुड़ गए हैं। खास बात यह है कि मंगलवार को पुलिस छापेमारी के दौरान एक एके-47 के साथ गिरफ्तार हथियार तस्कर बाप-बेटों के परिवार में एक आइएएस के साथ-साथ बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत इंजीनियर भी हैं।
विदित हो कि मंगलवार को पटना एसटीएफ व जिला पुलिस की संयुक्त कार्रवाई के दौरान नांगो सिंह तथा उसके दो बेटे दीपक कुमार उर्फ प्रभाकर कुमार उर्फ मोनी सिंह तथा प्रवीण कुमार उर्फ टोनी सिंह को एक एके 47, एक ऑटोमेटिक नाइन एमएम की पिस्टल और पांच कारतूस के साथ गिरफ्तार किया था। पुलिस के मुताबिक गिरफ्तार किए गए तस्कर नक्सलियों को एके 47 बेचने की फिराक में थे। पुलिस की मदद से एसटीएफ कर्मी नक्सली बनकर सौदा करने पहुंचे और एके 47 सहित सभी को दबोच लिया।
तस्कर का भतीजा आइएएस अधिकारी
गिरफ्तार तस्कर नांगो सिंह का बड़ा भाई राम शेखर सिंह उर्फ शेखो सिंह सिहमा पंचायत का पूर्व मुखिया रहा है। नांगो के बड़े भाई बाल्मीकि सिंह उर्फ घुट्टू सिंह का एक बेटा शंभू कुमार उत्तर प्रदेश कैडर के आइएएस अधिकारी है। घुट्टू सिंह का ही बड़ा बेटा रणवीर कुमार नई दिल्ली में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में इंजीनियर है तो छोटा बेटा डिस्को भी केंद्रीय सिविल सेवाओं के लिए तैयारी कर रहा है। दोनों बड़े भाई अपने-अपने परिवारों के साथ नई दिल्ली और प्रतापगढ़ में ही रहते हैं।
परिवार में हो चुका बंटवारा, सभी अलग
गांव वाले बताते हैं कि रणवीर और शंभू जब भी छुट्टी में गांव आते थे तो चचेरे भाई व चाचा को गलत कार्यों से अलग रहने के लिए समझाते थे। हालांकि, परिवार में सभी के बीच संपत्ति का बंटवारा हो चुका है और अब सभी लोग अलग-अलग मकान में रहते हैं।
कभी कुख्यात कामदेव से जुड़ा था परिवार
बताया जाता है कि इस परिवार के सदस्य कभी कुख्यात तस्कर कामदेव सिंह से जुड़े रहे थे। 1970- 80 के दशक में मटिहानी थाना क्षेत्र का छितरौर गांव निवासी कामदेव सिंह की गिनती देश के बड़े गांजा तस्कर के रूप में होती थी। कामदेव के साथ इलाके के कई लोग जुड़े थे। घुट्टू को कामदेव का दायां हाथ माना जाता था।
कामदेव की हत्या के बाद अपराध से तौबा
घुट्टू के खिलाफ उस वक्त भी कई आपराधिक मामले दर्ज हुए थे। लेकिन 1980 में कामदेव सिंह की हत्या के बाद घुट्टू ने अपराध की दुनिया से किनारा कर लिया। इसके बाद उसने अपने एक बेटे को इंजीनियर तथा दूसरे को आइएएस बनाया।
अपराध के दलदल में फिर फंसे परिवार के अन्य सदस्य
लेकिन नांगो सिंह उर्फ रामसेवक सिंह के बेटे टोनी सिंह एवं मोनी सिंह ने अपराध जगत में प्रवेश कर लिया। गांव में उनकी दबंगई बढ़ गई थी। मोनी पर शराब तस्करी समेत दवा दुकानदार से रंगदारी मांगने का भी मुकदमा दर्ज है। राज्य में शराबबंदी के बाद यह परिवार शराब की तस्करी में जुट गया था। इससे भी परिवार को मोटी कमाई होती थी। परिवार के खिलाफ कोई मुंह नहीं खोलता था।
गिरफ्तारी के समय भी कम नहीं थी अकड़
बेगूसराय के एसपी अवकाश कुमार ने बताया कि तस्करी के एके 47 के साथ गिरफ्तारी के बावजूद नांगो सिंह की अकड़ कम नहीं थी। वह बार-बार पुलिस वालों से उलझ रहा था। उसने पुलिस को गुमराह करने की भी कोशिश की। लेकिन कड़ाई से पूछताछ में उसने मुंह खोल दिया।
विदित हो कि मंगलवार को पटना एसटीएफ व जिला पुलिस की संयुक्त कार्रवाई के दौरान नांगो सिंह तथा उसके दो बेटे दीपक कुमार उर्फ प्रभाकर कुमार उर्फ मोनी सिंह तथा प्रवीण कुमार उर्फ टोनी सिंह को एक एके 47, एक ऑटोमेटिक नाइन एमएम की पिस्टल और पांच कारतूस के साथ गिरफ्तार किया था। पुलिस के मुताबिक गिरफ्तार किए गए तस्कर नक्सलियों को एके 47 बेचने की फिराक में थे। पुलिस की मदद से एसटीएफ कर्मी नक्सली बनकर सौदा करने पहुंचे और एके 47 सहित सभी को दबोच लिया।
तस्कर का भतीजा आइएएस अधिकारी
गिरफ्तार तस्कर नांगो सिंह का बड़ा भाई राम शेखर सिंह उर्फ शेखो सिंह सिहमा पंचायत का पूर्व मुखिया रहा है। नांगो के बड़े भाई बाल्मीकि सिंह उर्फ घुट्टू सिंह का एक बेटा शंभू कुमार उत्तर प्रदेश कैडर के आइएएस अधिकारी है। घुट्टू सिंह का ही बड़ा बेटा रणवीर कुमार नई दिल्ली में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में इंजीनियर है तो छोटा बेटा डिस्को भी केंद्रीय सिविल सेवाओं के लिए तैयारी कर रहा है। दोनों बड़े भाई अपने-अपने परिवारों के साथ नई दिल्ली और प्रतापगढ़ में ही रहते हैं।
परिवार में हो चुका बंटवारा, सभी अलग
गांव वाले बताते हैं कि रणवीर और शंभू जब भी छुट्टी में गांव आते थे तो चचेरे भाई व चाचा को गलत कार्यों से अलग रहने के लिए समझाते थे। हालांकि, परिवार में सभी के बीच संपत्ति का बंटवारा हो चुका है और अब सभी लोग अलग-अलग मकान में रहते हैं।
कभी कुख्यात कामदेव से जुड़ा था परिवार
बताया जाता है कि इस परिवार के सदस्य कभी कुख्यात तस्कर कामदेव सिंह से जुड़े रहे थे। 1970- 80 के दशक में मटिहानी थाना क्षेत्र का छितरौर गांव निवासी कामदेव सिंह की गिनती देश के बड़े गांजा तस्कर के रूप में होती थी। कामदेव के साथ इलाके के कई लोग जुड़े थे। घुट्टू को कामदेव का दायां हाथ माना जाता था।
कामदेव की हत्या के बाद अपराध से तौबा
घुट्टू के खिलाफ उस वक्त भी कई आपराधिक मामले दर्ज हुए थे। लेकिन 1980 में कामदेव सिंह की हत्या के बाद घुट्टू ने अपराध की दुनिया से किनारा कर लिया। इसके बाद उसने अपने एक बेटे को इंजीनियर तथा दूसरे को आइएएस बनाया।
अपराध के दलदल में फिर फंसे परिवार के अन्य सदस्य
लेकिन नांगो सिंह उर्फ रामसेवक सिंह के बेटे टोनी सिंह एवं मोनी सिंह ने अपराध जगत में प्रवेश कर लिया। गांव में उनकी दबंगई बढ़ गई थी। मोनी पर शराब तस्करी समेत दवा दुकानदार से रंगदारी मांगने का भी मुकदमा दर्ज है। राज्य में शराबबंदी के बाद यह परिवार शराब की तस्करी में जुट गया था। इससे भी परिवार को मोटी कमाई होती थी। परिवार के खिलाफ कोई मुंह नहीं खोलता था।
गिरफ्तारी के समय भी कम नहीं थी अकड़
बेगूसराय के एसपी अवकाश कुमार ने बताया कि तस्करी के एके 47 के साथ गिरफ्तारी के बावजूद नांगो सिंह की अकड़ कम नहीं थी। वह बार-बार पुलिस वालों से उलझ रहा था। उसने पुलिस को गुमराह करने की भी कोशिश की। लेकिन कड़ाई से पूछताछ में उसने मुंह खोल दिया।
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