नाटक बेटियां में दिखा, समाज में बेटियों का दर्द
बेगूसराय। गंगाजल की तरह पुण्य और प्रताप देने वाली होती हैं बेटियां फिर भी लोग क्यों डरते हैं बेटियों
बेगूसराय। गंगाजल की तरह पुण्य और प्रताप देने वाली होती हैं बेटियां फिर भी लोग क्यों डरते हैं बेटियों को पैदा करने से। जब यह संदेशात्मक संवाद दिनकर भवन के मंच से कलाकार वंशी श्रुति के द्वारा बोला गया तो पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। मौका था आकाश गंगा रंग चौपाल एसोसिएशन के द्वारा आयोजित एवं संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा प्रायोजित गणेश गौरव द्वारा लिखित एवं चांदनी कुमारी द्वारा निर्देशित नाटक बेटियां के मंचन का। नाटक में दिखाया गया है कि एक भोली-भाली मासूम बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार कर सड़क पर फेंक दिया जाता है। फिर किस तरह से समाज के ठेकेदारों द्वारा इसे जातीय ¨हसा का रूप देने की कोशिश की जाती है।
नाटक में निर्देशिका चांदनी के अलावा, अरुण शांडिलय, देव आनंद, अमर, हीरा, हरि किशोर, अंकुर, मिथिलेश, क्रांति, सिकंदर, श्रुति, शिवांशी, मोनिका, अमन, शिवकांत, नंदन, सूरज, कुंदन, विकास, शिवम आदि ने अपने अभिनय से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।
उद्घाटन पुलिस महानिदेशक बीएमपी बिहार गुप्तेश्वर पांड्ये, महापौर उपेंद्र प्रसाद ¨सह, डॉ. सपना चौधरी प्राचार्य महिला कॉलेज, भगवान प्रसाद ¨सह, रजनीकांत पाठक, अनिल पतंग, राजीव कुमार उप मेयर आदि ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया।