विद्यालय में प्रतिनियुक्त दो शिक्षकों ने योगदान देने से किया इन्कार
नारायणपीपर गांव के धर्मशाला चौक दुर्गा स्थान स्थित प्राथमिक विद्यालय में मंगलवार को भी विद्यालय संचालन नहीं हो सका।
बेगूसराय। नारायणपीपर गांव के धर्मशाला चौक दुर्गा स्थान स्थित प्राथमिक विद्यालय में मंगलवार को भी विद्यालय संचालन नहीं हो सका। विभाग द्वारा प्रतिनियुक्त दो पुरुष शिक्षकों ने विद्यालय में योगदान नहीं दिया। पहले से कार्यरत महिला शिक्षकों ने जान कर खतरा होने से स्कूल आने से साफ इंकार कर दिया है। वहीं छात्रों ने भी दहशत के कारण विद्यालय आने से साफ इंकार कर दिया। शिक्षा विभाग के क्रियाकलाप पर भी उंगली उठ रही है। सिर्फ सशस्त्र बलों को विद्यालय में प्रतिनियुक्त कर छात्रों अभिभावकों के भय को कम नहीं किया जा सकता है। जानकारों की मानें तो बिना काउंसि¨लग के विद्यालय संचालन अव्यवहारिक है। दूसरी तरफ गांव के अन्य विद्यालयों में भी छात्रों की उपस्थिति काफी कम हो गई है। इन स्कूलों के शिक्षक एवं छात्र स्पष्ट रूप से विद्यालय में घटित हुई घटना के बाद दहशत को इसका कारण बता रहे हैं।
नहीं खुल सका विद्यालय, अन्य विद्यालय में भी दहशत
प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने सोमवार को आदेश जारी कर मध्य विद्यालय नारायणपीपर के शिक्षक विनय कुमार ¨सह एवं माध्यमिक विद्यालय पनसल्ला के शिक्षक रामकुमार पासवान को अगले आदेश तक प्राथमिक विद्यालय ककराहा धर्मशाला चौक नारायणपीपर में योगदान दें। मंगलवार से विद्यालय संचालन का सख्त आदेश भी दिया था। लेकिन बिना तैयारी के एवं शिक्षकों में दहशत के कारण मंगलवार को भी विद्यालय नहीं खुल सका। प्रतिनियुक्त शिक्षकों ने कहा, विद्यालय के अंदर तीन-तीन हत्याएं हुई हैं। इस परिस्थिति में अभी वहां काम करना संभव नहीं है। इसकी जानकारी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को दे दी गई है। छात्रों शिक्षकों ने बताया कि सिर्फ विद्यालय में सशस्त्र बल तैनात हैं। अन्य जगहों पर हमलोगों को अकेले रहना पड़ता है। इस परिस्थिति में अभी विद्यालय जाना संभव नहीं है। प्राथमिक विद्यालय से दो सौ गज उत्तर सड़क किनारे स्थित है मध्य विद्यालय नारायणपीपर। यहां 10 महिला एवं एक पुरुष शिक्षक कार्यरत हैं। यहीं के एक मात्र पुरुष शिक्षक को प्राथमिक विद्यालय में प्रतिनियुक्त किया गया है। यहां की प्रधानाध्यापक रीना कुमारी कहती हैं कि घटना के दिन से ही एकांत जगह पर स्थित इस स्कूल के छात्रों एवं शिक्षकों में दहशत है। अब एकमात्र पुरुष शिक्षक को भी वहां भेजने को कहा जा रहा है। छात्रों की उपस्थिति काफी कम हो गई है। हमलोग भी अधिकारियों के डर से विद्यालय आ रहे हैं। अन्य विद्यालयों में भी उपस्थिति 40 से 50 प्रतिशत कम देखी गई है।
भय का माहौल खत्म हो काउंसि¨लग जरूरी
विद्यालय के अंदर सात से 10 साल तक के मासूम छात्रों के सामने अपहरण करने आए तीन अपराधियों की पीटकर की गई हत्या एवं एक घंटे से ज्यादा तक अपराधियों के तड़पते रहने का ²श्य छात्रों शिक्षकों में अभी भी ताजा है। जानकार बताते हैं कि यही कारण है कि बच्चे एवं शिक्षक विद्यालय आना नहीं चाहते। इन लोगों में भय प्रवेश कर गया है। जो सशस्त्र बलों एवं शक्ति से समाप्त नहीं हो सकता है। इसके लिए शिक्षा विभाग मनोचिकित्सकों एवं जानकार लोगों के द्वारा छात्रों, अभिभावकों एवं शिक्षकों का काउंसि¨लग करवाया जाय तब जाकर बच्चों में दहशत खत्म हो सकता है।
कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में बात करने पर बीईओ श्याम किशोर प्रसाद ¨सह ने बताया कि प्रतिनियुक्त शिक्षक एवं छात्रों अभिभावको में घटना के बाद से दहशत है। इस कारण से विद्यालय संचालन नहीं हो सका है। अन्य वैकल्पिक व्यवस्था भी की जा रही है। बुद्धिजीवियों एवं विशेषज्ञों की भी सलाह लेनी पड़ी तो जरूर लिया जाएगा। काउंसि¨लग के संबंध में वरीय अधिकारियों से दिशा निर्देश लिया जा रहा है। गांव के अन्य विद्यालयों में भी सुरक्षा के दृष्टिकोण से दिशा निर्देश जारी किया जा रहा है। पुलिस प्रशासन के साथ मिलकर विद्यालय के पोषक क्षेत्र में स्थिति सामान्य करने का प्रयास कर रहे हैं।
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नागमणि के बेल की खबर से कुंभी गांव में दहशत
संसू, चेरिया बरियारपुर (बेगूसराय) : छौड़ाही ओपी क्षेत्र के नारायणपीपर गांव में मॉब ¨ल¨चग का शिकार अपराधी मुकेश महतो का छोटा भाई कुख्यात अपराधी नागमणि महतो के जमानत की खबर से कुंभी गांव में दहशत व्याप्त है। अब कभी भी, कहीं भी कोई घटना नहीं घट जाए, इस आशंका से लोग भयभीत हैं। विगत रविवार को गांव में एक खबर फैली कि नागमणि को जमानत मिल गई है। फिर अफवाहों के साथ लोगों को डर सताने लगा कि फिर एकबार माहौल अशांत होगा। इसकी भनक स्थानीय प्रशासन लगी तो वह भी गंभीर दिख रहा है। नागमणि को जमानत मिली है या नहीं इसकी टोह में जुटे दिख रहे हैं। सूत्रों की मानें तो गांव में जानबूझ कर हवा फैलाया जा रहा है। लेकिन सवाल उठता है कि इस तरह की अफवाह से क्या फायदा है। वहीं भीड़तंत्र के शिकार बने श्याम ¨सह उर्फ बौना ¨सह को गांव वाले अपराधी नहीं मानते हैं। उसकी हत्या का आक्रोश गांव में व्याप्त है। कुंभी गांव में यह चर्चा आम हो रही है कि कुछ शातिर किस्म के लोगों के कारण बौना की हत्या हुई है। भीड़ ने जब अपराधी मुकेश को पहले निकाल कर मार दिया था। फिर किस साजिश के तहत बौना की हत्या की गई। यह सवाल गांव में हर किसी के जुबान पर है।