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सूचना के अधिकार कानून का प्रयोग कर लाई क्रांति

बेगूसराय सदर : अचानक पेंशन के मामले को लेकर बिगड़ी बात ने एक शख्स को आरटीआइ का ऐसा

By Edited By: Published: Wed, 10 Aug 2016 06:45 PM (IST)Updated: Wed, 10 Aug 2016 06:45 PM (IST)
सूचना के अधिकार कानून का प्रयोग कर लाई क्रांति

बेगूसराय सदर : अचानक पेंशन के मामले को लेकर बिगड़ी बात ने एक शख्स को आरटीआइ का ऐसा कार्यकर्ता बना दिया कि आज उसके सिर्फ नाम सुनते ही बड़े-बड़ों के हाथ-पांव फूल जाते है। हम बात कर रहे हैं आरटीआइ एक्टिविस्टों में से एक 72 वर्षीय गिरीश प्रसाद गुप्ता की जिन्होंने एक अधिकारी से लेकर पीएम तक पर सूचना के अधिकार का प्रयोग किया है। बरौनी के राजेंद्र रोड में रहने वाले गिरीश प्रसाद गुप्ता वर्ष 2006 से निरंतर जनता को उसका अधिकार दिलाने के लिए सूचना के अधिकार कानून का प्रयोग कर समाज में एक बड़ी क्रांति ला रहे हैं।

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जीपी गुप्ता ने क्यों थामा आरटीआई का दामन

गिरीश प्रसाद गुप्ता बरौनी डेयरी से अवकाश ग्रहण करने के बाद पेंशन के लिए सारे कागजात कार्यालय में जमा कराए तो महीनों बीत जाने के बाद भी फाइल पर कोई एक्शन नहीं हुआ। अचानक वेतन बंद होने एवं पेंशन न मिलने से जीपी गुप्ता काफी परेशान हो गए। इसी बीच वर्ष 2005 में लागू हुई सूचना का अधिकार अधिनियम के बारे में उन्हें जानकारी मिली। जिसके बाद सर्वप्रथम उन्होंने अपने पेंशन के मामले को हल करने के लिए डेयरी प्रबंधन से आरटीआई के जरिए जबाब मांगा। जीपी गुप्ता बताते हैं कि दो माह के अंदर ही सारी फाइलो को हल करके मेरे पेंशन को लागू कर दिया गया। यह मेरे लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था। उसके बाद से ही मैंने आरटीआई की ताकत को समझते हुए अपने दोस्तों और ग्रामीणों की समस्याओं को इसके माध्यम से सुलझाने लगा।

डीएम से लेकर पीएम तक देते हैं जवाब

जीपी गुप्ता बताते हैं कि जो राजनेता, अफसर या कर्मचारी जनता की बात सुनने को तैयार नहीं वैसे लोगों को जनता की ताकत दिखाने के लिए आरटीआई एक सशक्त माध्यम है। वे बताते हैं कि उन्होंने पंचायत सचिव से लेकर डीएम और डीएम से लेकर पीएम तक से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी प्राप्त कर चुके हैं। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे, पाकिस्तानी जेल में बंद रहे सर्वजीत सहित पांच हजार से अधिक मामलों में आरटीआई के तहत जवाब प्राप्त किया है।

मानवाधिकार सहित दर्जनों अफसरों पर लगवाया जुर्माना

गिरीश प्रसाद गुप्ता बताते हैं कि सूचना देने में देरी करने के कारण उनकी शिकायत से मानवाधिकार आयोग पर राज्य सूचना आयोग ने 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। इसके अलावा उन्होंने दर्जनों अफसरों, कर्मचारियों पर भी 25-25 हजार रुपये का जुर्माना लगवाया है। जुर्माने की राशि राज्यकोष में जमा होती है।


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