दो दशक बाद भी नहीं मिला बलिया को व्यवहार न्यायालय
बेगूसराय : दो दशक पूर्व बलिया को अनुमंडल का दर्जा 1992 में मिला। इसका उदघाटन तत्कालीन मुख्यमं
बेगूसराय : दो दशक पूर्व बलिया को अनुमंडल का दर्जा 1992 में मिला। इसका उदघाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने किया। तब ट्राइसेम कार्यालय में अनुमंडल कार्यालय विधिवत शुभारंभ हुआ। पांच वर्ष पूर्व करीब पांच करोड़ रुपये की लागत से अनुमंडल भवन का निर्माण हुआ। इसका उदघाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बलिया के बरबीघी में विकास यात्रा के दौरान 2010 में किया था। भव्य भवन में दूसरे तल में डीएसपी कार्यालय, प्रथम तल में एसडीओ, डीसीएलआर, कार्यपालक दंडाधिकारी, इंस्पेक्टर का कार्यालय चल रहा है और ग्राउंड फ्लोर में उक्त अधिकारी न्यायालय चला रहे हैं। लेकिन अब तक व्यवहार न्यायालय का दर्जा नहीं मिला। इसके कारण बलिया, डंडारी, साहेबपुर कमाल प्रखंड के लोगों को 40 किलोमीटर दूर बेगूसराय न्यायालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है।
अनुमंडल बनने से लोगों में जगी थी आस
अनुमंडल बनने के बाद यहां के लोगों में आस जगी थी कि अब अनुमंडल के सभी वादों का निपटारा के लिए बेगूसराय नहीं जाना पड़ेगा और उन्हें सुलभ तथा समय पर न्याय मिलेगा। परंतु, ऐसा नहीं हुआ। इसलिए यहां के लोग अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि इसके बाद बने अनुमंडल में व्यवहार न्यायालय का उदघाटन हो चुका है और कार्य भी चल रहा है। परंतु, बलिया का मामला अधर में लटका हुआ है।
इसको लेकर बलिया अनुमंडल अधिवक्ता संघ के महासचिव मणिशंकर यादव एवं अध्यक्ष रघुवर श्याम ¨सह ने मांग पत्र जिला जज से मिलकर दिया था। ताकि उक्त मांग पत्र पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भेजा जा सके। महासचिव मणिशंकर यादव ने कहा कि 30 जुलाई को बेगूसराय न्यायालय परिसर में जिला विधिक सेवा प्राधिकार भवन के उदघाटन में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति पहुंचेंगे। उनसे बलिया अनुमंडल अधिवक्ता संघ के अधिवक्ताओं का शिष्टमंडल भी मिलकर बलिया में व्यवहार न्यायालय आरंभ करने की मांग करेंगे।
तिथि निर्धारण होने के बाद नहीं हो सका उदघाटन
बलिया अनुमंडल अधिवक्ता संघ के महासचिव मणिशंकर यादव ने बताया कि बलिया अनुमंउल परिसर का
कई तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश बेगूसराय ने भी निरीक्षण किया है। वर्ष 2015 में तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने निरीक्षण कर व्यवहार न्यायालय के लिए प्रकोष्ठ एवं आफिस के लिए अनुमंडल भवन का चयन किया था। इसके बाद भवन में आफिस प्रकोष्ठ व न्यायालय कक्ष का निर्माण भी कराया गया। इसमें छह कमरा को व्यवहार न्यायालय के लिए रखा गया। यहां तक की उदघाटन की तिथि भी निर्धारित की गई। लेकिन अपरिहार्य कारण इसका उदघाटन नहीं हो सका। व्यवहार न्यायालय परिसर को अलग में चलाने के लिए जमीन का चयन कर भू अर्जन के लिए प्रस्ताव एसडीएम बलिया द्वारा भेजा जा चुका है।