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घटना के दिन रात तक सोनू व मनीषा थे मोबाइल संपर्क में

बेगूसराय। चर्चित सोनू अपहरण कांड के बाद उसकी हत्या कर दिए जाने के खुलासे से इस पूरे प्रक

By Edited By: Published: Wed, 28 Dec 2016 03:05 AM (IST)Updated: Wed, 28 Dec 2016 03:05 AM (IST)
घटना के दिन रात तक सोनू व मनीषा थे मोबाइल संपर्क में

बेगूसराय। चर्चित सोनू अपहरण कांड के बाद उसकी हत्या कर दिए जाने के खुलासे से इस पूरे प्रकरण पर जमी परत धीरे-धीरे हटने लगी है। त्रिकोणीय प्रेम कहानी किसी हॉरर फिल्म जैसा प्रतीत होती है, जो बीच में कई मोड़ लेती हुई आगे सरकती है और अपने दर्दनाक अंत को पहुंचती है।

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सूत्र बताते हैं कि दीपक और सोनू बचपन से गहरे मित्र थे। दोनों ही मनीषा से प्यार करते थे। इसी बीच अपने बड़े भाई और मां के निधन के बाद सोनू अपने चाचा के साथ बेगूसराय में रहने लगा और उनके व्यापार में हाथ बंटाने लगा। सोनू की अनुपस्थिति में दीपक और मनीषा ने अंतरजातीय विवाह कर लिया। परंतु, दोनों के दांपत्य जीवन में जल्द ही दरार आनी शुरू हो गई। दरअसल दीपक शराब और जुआ का आदि था। ऊपर से बेरोजगार। मनीषा इससे बेजार रहने लगी। दोनों के जीवन में रोज की अनबन आम हो गई।

पत्नी की बेवफाई व मित्र की गद्दारी ने दीपक को झकझोर दिया

मनीषा अब उससे सीधे मुंह बात भी नहीं करती। सोनू को लेकर दोनों के बीच रोज झगड़ा होने लगा। मनीषा और दीपक के संबंध इतने खराब हो गए कि अब दोनों का साथ रहना संभव नहीं रह गया। मनीषा के प्रेम के बीच दीपक कांटा बनने लगा। फलत: वह पति का घर छोड़कर मायके में आकर रहने लगी। इस तरह वह अब रोज अपने प्रेमी से मिलने लगी। इधर दोनों की मोहब्बत से बुरी तरह टूट चुके दीपक ने मित्र की हत्या कर उससे बदला लेने की ठान ली।

बखरी से बाहर शिफ्ट होने वाले थे सोनू व मनीषा

जिसका आभास शायद सोनू और मनीषा को भी हो चुका था। इसलिए दोनों ने बखरी से बाहर शिफ्ट करने का मन भी बना लिया था। सूत्रों की माने तो घटना के दो दिन पूर्व ही दोनों चेन्नई भागने वाले थे। इसकी भनक शायद दीपक को लग चुकी थी। इसलिए उसने सोनू को रास्ते से हटाने की जल्दी करने में लग गया। परंतु, उसने सोनू से अपने रिश्ते को यथावत बनाए रखा। बल्कि उसे अपने नाम से एक सिम निकाल कर दे दिया ताकि उससे निश्शुल्क बात भी हो और वह ट्रेस में भी रहे। सूत्र बताते हैं कि हत्या की सभी तैयारियों के बाद घटना के दिन दीपक ने सोनू को मुर्गा खाने के लिए घर आने का न्योता दिया।

रात करीब नौ बजे के आसपास दीपक ने सोनू से मोबाइल पर बात की। उस समय सोनू चाचा की रेडिमेड कपड़े की दुकान से घर आया ही था। दीपक ने सोनू को स्टेशन चौक से पिकअप किया। दीपक और सोनू एवं दो अन्य युवकों को शकरपुरा हाई स्कूल के मैदान में खाते पीते देखा गया। परंतु, इस बात की किसी ने नोटिस नहीं ली। क्योंकि वे लोग अक्सर वहां पर बैठकर खाते पीते थे।

हत्या से पहले नशीला पदार्थ खिलाकर किया बेहोश

पीने के लिए वहां बीयर थी। दीपक ने एक बोतल में नशीला पदार्थ मिलाकर रखा था। बोतल की पहचान उसके रंगों से की गई थी। सोनू के आने पर उसे चिह्नित बोतल थमा दी गई और उसके बेहोश होने पर घर ले जाकर घटना को अंजाम दिया गया। सुबह परेशान मनीषा सोनू के घर भी गई पर वह वहां नहीं मिला। सोनू के नहीं मिलने पर सोनू के चाचा राजेंद्र पोद्दार ने थाना को आवेदन देकर दीपक और मनीषा पर सोनू का अपहरण कर हत्या की आशंका की प्राथमिकी दर्ज करवा दी। तब थानाध्यक्ष सुनील कुमार ¨सह के बुलावे पर अपने को बेकसूर बताते हुए दोनों पति पत्नी ने आत्मसमर्पण कर दिया। सोनू जहां अपने परिवार का एकलौता चिराग था। वहीं दीपक भी अपनी बूढ़ी मां का एकमात्र सहारा था।


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