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समेकित कृषि को बढ़ावा दे रहे जयशंकर

बेगूसराय : घाटे का व्यवसाय बन चुकी खेती को लाभकारी बनाने के लिए सरकार व कृषि विभाग लगात

By Edited By: Published: Mon, 23 Jan 2017 06:54 PM (IST)Updated: Mon, 23 Jan 2017 08:38 PM (IST)
समेकित कृषि को बढ़ावा दे रहे जयशंकर
समेकित कृषि को बढ़ावा दे रहे जयशंकर

बेगूसराय : घाटे का व्यवसाय बन चुकी खेती को लाभकारी बनाने के लिए सरकार व कृषि विभाग लगातार प्रयास कर रहा है। सरकार व विभाग के इन प्रयासों से इतर डंडारी प्रखंड के तेतरी निवासी जयशंकर कुमार समेकित कृषि को बढ़ावा देने में जुटे हैं। उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद जयशंकर ने सरकारी नौकरी करने का प्रयास तक नहीं किया। उन्होंने खुद के लिए तो कृषि को अपने विकास का जरिया बनाया ही जिले के विभिन्न प्रखंडों व दूसरे प्रदेश के किसानों को भी लगातार समेकित कृषि से संबंधित जानकारी दे रहे हैं। उनके द्वारा दी गई ऐसी जानकारी का फायदा आम किसानों को भी मिल रहा है।

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525 किसानों को दिया मोती उत्पादन प्रशिक्षण : समेकित कृषि के तहत जयशंकर ने एक ही पोखर में मछली, मुर्गा, बत्तख आदि के साथ-साथ मोती उत्पादन का कार्य भी शुरू किया। धीरे-धीरे इस खेती की जानकारी जब अन्य किसानों को होने लगी तो किसान खुद तो उनके यहां प्रशिक्षण प्राप्त करने गए ही, कृषि विभाग द्वारा भी प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए किसानों को यहां भेजा जाने लगा। जयशंकर बताते हैं कि अपने जिले के अलावा राज्य के विभिन्न जिलों व राज्य के बाहर के 525 से अधिक किसानों ने यहां आकर मोती उत्पादन से संबंधित प्रशिक्षण प्राप्त किया है। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद करीब तीन सौ किसानों ने मोती उत्पादन के लिए कार्य प्रारंभ भी किया है।

दी वर्मी कम्पोस्ट बनाने की जानकारी : समेकित कृषि के तहत जयशंकर ने 780 से अधिक किसानों को बेहतर वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन से संबंधित जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि किसानों को वर्मी कम्पोस्ट के साथ-साथ के चुआ उत्पादन की जानकारी भी दी गई। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद सिर्फ बेगूसराय के डेढ़ दर्जन से अधिक लोग वर्मी का व्यवसायिक उत्पादन कर रहे हैं जिससे उनकी आर्थिक आमदनी भी बढ़ी है। साथ ही फसलों के उत्पादन में भी रसायनिक खाद की जगह वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग हो रहा है।

समेकित पशुपालन को भी दे रहे बढ़ावा : जयशंकर बताते हैं कि प्राय: लोग एक ही तरह के पशुओं का पालन कर व्यवसाय करते हैं जिसके कारण उन्हें बेहतर लाभ नहीं हो पाता है। कहा कि समेकित पशुपालन अर्थात गाय, भैंस, बकरी आदि के साथ-साथ पशुपालकों को भी बेहतर लाभ होता है। कहा, वे खुद भी यह कार्य कर रहे हैं और बेहतर लाभ हो रहा है। जानकारी दी कि जिला के विभिन्न क्षेत्रों के 1255 पशुपालकों को अब तक समेकित पशुपालन से संबंधित प्रशिक्षण दिया गया है जिसका लाभ पशुपालक भी उठ रहे हैं।

बताते चलें कि जयशंकर ने करीब 15 वर्ष पहले समेकित कृषि की शुरुआत की थी। इसके तहत उन्होंने करीब एक बीघा दस कठ्ठा जमीन में पोखर का निर्माण कराया। पोखर में मछली, मुर्गा, बत्तख आदि के साथ-साथ मोती उत्पादन की शुरुआत की। मोती उत्पादन का गुर उन्होंने मुंबई के एक आदमी से सीखा था तथा खुद से उत्पादन करने के बाद दूसरे किसानों को भी इसकी जानकारी दे रहे हैं। इसके अलावा वर्मी उत्पादन के साथ-साथ बड़ा गोबर गैस प्लांट भी लगा रखा है और इसी से पूरे परिवार में रोशनी व रसोई गैस की व्यवस्था भी वे करते हैं। पशुपालन में गाय-भैंस के साथ मथुरा की उच्च नस्ल के बकरी का पालन भी वे करते हैं। जयशंकर के इस प्रयास का लाभ दूसरे किसानों को भी बखूबी मिल रहा है। अब कृषि विभाग भी सरकारी खर्चे पर किसानों को प्रशिक्षण लेने के लिए यहां भेज रहा है।


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