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लुई ब्रेल की जयंती आज, स्कूलों में होंगे कार्यक्रम

बेगूसराय। आज यानी चार जनवरी को जिला के सभी विद्यालयों में लुई ब्रेल की जयंती समारोह पूर्वक म

By Edited By: Published: Wed, 04 Jan 2017 03:01 AM (IST)Updated: Wed, 04 Jan 2017 03:01 AM (IST)
लुई ब्रेल की जयंती आज, स्कूलों में होंगे कार्यक्रम

बेगूसराय। आज यानी चार जनवरी को जिला के सभी विद्यालयों में लुई ब्रेल की जयंती समारोह पूर्वक मनाई जाएगी। इसके लिए जिला कार्यक्रम पदाधिकारी महेंद्र पोद्दार ने सभी बीईओ को पत्र भेजकर लुई ब्रेल की जयंती मनाने का निर्देश दिया है। डीपीओ ने बताया कि बिहार माध्यमिक शिक्षा के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी गायत्री शाही के निर्देश पर सभी को निर्देशित किया गया है।

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डीपीओ ने बताया कि आज सभी विद्यालयों में बैनर एवं स्लोगन तख्ती लेखन, सभी विद्यालयों के शिक्षकों के नेतृत्व में बच्चों द्वारा प्रभात फेरी निकाली जाएगी। इसके अलावा इस कार्य में मेंटर शिक्षकों का सहयोग लिया जाएगा। लुई ब्रेल की जयंती के अवसर पर बच्चों के बीच खेलकूद, पें¨टग, क्वीज, निबंध लेखन, गायन, वादन आदि प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाएगा। हालांकि चार जनवरी को सभी विद्यालयों में प्रकाशोत्सव का अवकाश है। उसके बावजूद विद्यालयों में इस कार्यक्रमों का आयोजित करने का निर्देश दिया गया है।

कौन थे ब्रेल लिपि के आविष्कारक लुई ब्रेल

लुई ब्रेल (लुई ब्रेल) चार जनवरी 1809 को फ्रांस के कुप्रे गांव निवासी साइमन रेले ब्रेल के घर लुई का जन्म हुआ था। उनके पिता घोड़ा गाड़ी में इस्तेमाल होने वाले काष्ठ को बनाने का कार्य करते थे। निम्न मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे लुई के पिता अपनी गरीबी के कारण पांच वर्ष की आयु में ही लुई को अपने साथ दुकानदारी और काष्ठ का कार्य करने की ट्रे¨नग देने ले गए। जहां पर लकड़ी से खेलते हुए एक छुरी उछल कर उसकी आंखों में चुभ गई। जिससे उनकी एक आंख नष्ट हो गई। दो वर्षों के बाद उनकी दूसरी आंख भी प्रभावित होने लगी। बार-बार पिता से शिकायत करने के बावजूद उनके पिता अपनी गरीबी के कारण उनकी आंखों का इलाज नहीं करा सके। नतीजतन आठ वर्ष की आयु में उनकी दूसरी आंख भी खराब हो गई। जब वे बारह वर्ष के हो गए तो उनके माता-पिता ने उन्हें एक पादरी के पास रखवा दिया। जहां वे धार्मिक कार्यों को अंजाम देने लगे। इसी बीच उन्होंने पादरी को अपने मन में उठने वाले प्रश्नों से आगाह किया। जिसके बाद पादरी के आर्थिक सहयोग करने के बाद उन्होंने ब्रेल लिपि को इजाद करने में सफलता हासिल की। उनकी मृत्य 43 वर्ष की आयु में छह जनवरी 1852 को हो गई।


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