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उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्य के साथ छठ अनुष्ठान संपन्न

बेगूसराय । चैत्र माह में आयोजित होने वाला चार दिवसीय छठ अनुष्ठान शुक्रवार की प्रात उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्यदान के साथ संपन्न हो गया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Apr 2019 12:25 AM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 06:10 AM (IST)
उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्य के साथ छठ अनुष्ठान संपन्न
उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्य के साथ छठ अनुष्ठान संपन्न

बेगूसराय । चैत्र माह में आयोजित होने वाला चार दिवसीय छठ अनुष्ठान शुक्रवार की प्रात: उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्यदान के साथ संपन्न हो गया। मंगलवार को नहाय-खाय के साथ आरंभ हुए इस छठ अनुष्ठान को लेकर संबंधित परिवारों में चार पांच दिनों तक भक्तिपूर्ण माहौल बना रहा। गुरुवार की शाम छठ व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्यदान करने के पश्चात घर पहुंचकर फिर से प्रात:कालीन अ‌र्घ्य के लिए सूप व डाला तैयार किया। इसके पश्चात अहले सुबह से ही अपने परिजनों के साथ छठव्रती छठ घाट पर पहुंच कर अपने सूप डाला को घाट पर सजाकर पानी में खडे रहकर सूर्य की अराधना में लगी रही। सूर्य की लालिमा निकलते ही अ‌र्घ्यदान कार्यक्रम आरंभ हुआ। तत्पश्चात छठ व्रती अपने परिजनों के बीच प्रसाद का वितरण किया। छठ को लेकर शहर के सभी प्रमुख तालाबों में काफी संख्या में छठव्रतियों की उपस्थिति से माहौल भक्तिमय बना रहा।

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गढ़पुरा प्रतिनिधि के अनुसार प्रखंड क्षेत्र में उदयाचल सूर्य देव को अ‌र्ध्य दान देने के साथ ही चैती छठ का चार दिवसीय महापर्व सम्पन्न हो गया। हालांकि इलाके में चैती छठ कम ही परिवारों में मनाए जाते हैं। फिर भी यह पर्व कार्तिक महीने में होने वाले छठ पर्व की तरह ही बड़े ही उत्साह,नियम निष्ठा के साथ मनाया जाता हैं। इस संबंध में बताया गया कि सूर्य देव की उपासना के लिए नहाय - खाय के साथ यह पर्व आरंभ होता है। चैत में छठ पर्व के मनाये जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बल कम होने के कारण छठ व्रती अपने-अपने आंगन व दरवाजे पर गड्ढा खोदकर उसमें पानी भर कर तालाब का प्रतिरूप बना भगवान भास्कर की आराधना के लिए उसमें खड़े हो अ‌र्घ्य दान किया।

बलिया प्रतिनिधि के अनुसार, बलिया एवं डंडारी में उदयाचल गामी भगवान भास्कर को अ‌र्घ्य देने के साथ ही लोक आस्था का महापर्व चैती छठ सम्पन्न हो गया। शुक्रवार की सुबह से ही लोग डाला लेकर नजदीक के पोखर, गंगा, गंडक व अपने ही घर व छतों पर बने घाट पर डाला लेकर पहुंचे। डाला सजाकर धूप दीप से पूजा अर्चना किया। इस बीच जब भगवान सूर्य ने दर्शन दिया तो सूप उठाकर परिवार के साथ भगवान भाष्कर को अ‌र्घ्य दान किया गया। इसके साथ ही चार दिवसीय चैती छठ का अनुष्ठान संम्पन्न हो गया।


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