Shardiya Navratri 2022: नवरात्रि में प्रतिदिन फूल-बेलपत्र से बनाई जाती है मां दुर्गा की आकृति, 125 साल पुराना है ये रोचक इतिहास
Shardiya Navratri 2022 बिहार के बेगूसरा के बरिरायरपुर में नवरात्रि में प्रतिदिन फूल और बेल पत्र से मां दुर्गा की आकृति बनाई जाती है। मंदिर में पूरी रात धूप एवं अगरबत्ती जलाई जाती है। फूल एवं बेल पत्र से मां की आकृति बनाने के पीछे की कहानी यहां जानिए...
संसू, चेरिया बरियारपुर (बेगूसराय)। नवरात्रि में विशेष पूजा पद्धति के लिए चर्चित क्षेत्र का बिक्रमपुर गांव माता की भक्तिरस में सराबोर है। यहां पर नवरात्रि में प्रतिदिन मां की आकृति बनाने के लिए फूल-बेलपत्र इकट्ठा करने में गांव वालों का उत्साह देखते ही बनता है। मां की आकृति के साथ वैदिक रीति से होने वाली पूजा देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंचते हैं और देर रात्रि में घर लौटते हैं। नवमी पूजा तक पूरे गांव की आस्था मंदिर परिसर को देखते ही सहज लगाया जा सकता है। गांव वालों की माने तो माता जयमंगला की असीम अनुकंपा के कारण गांव में सुख-शांति और समृद्धि है।
कलश स्थापन के दिन स्व. सिंह के सभी वंशज मिलकर मंदिर में कलश की स्थापना करते हैं और प्रतिदिन अपने हाथों से तोड़े गए फूल-बेलपत्र आकृति बनाकर पूजा करते हैं। कालांतर में परिवार के विस्तार होने के कारण पहली पूजा तीन खुट्टी खानदान के चंदेश्वर सिंह आदि करते हैं। दूसरी पूजा पंचखुट्टी के सुशील सिंह वगैरह के द्वारा की जाती है। शेष सभी पूजा नौ खुट्टी के वंशज राजेश्वर सिंह, परमानंद सिंह, कृत्यानंद सिंह, मोहन सिंह, नीरज सिंह, शंभु सिंह, नंदकिशोर सिंह, लाला जी, रामकुमार सिंह, पुष्कर सिंह, विश्वनाथ सिंह वगैरह करते आ रहे हैं। अंत में नवमी पूजा के दिन स्व. सिंह के सभी वंशज की उपस्थिति में बलि प्रदान किए जाने के साथ पूजा पूर्ण हो जाती है।
स्व: सिंह के वंश के सदस्य के द्वारा ही मां का स्वरूप दिया जाता रहा है। आज भी उनके वंशज रामबिलास सिंह के द्वारा मां का स्वरूप तैयार किया जाता है। इसके पूर्व मां का स्वरूप इनके पिता दिया करते थे।
ग्रामीणों की मानें तो संध्या के समय मां की आकृति पूर्ण होने के साथ ही मंदिर में पूरी रात धूप-गुंगुल एवं अगरबत्ती जलाई जाती है। उससे निकलने वाले धुएं जहां तक फैलती है, वहां तक सुख-सम्वृद्धि बरसती है। इसलिए मंदिर में धुएं की व्यवस्था की जाती है।