बच्चे अपनी प्रतिभा निखारने की करें कोशिश
पुलिस क्या है? उसका काम क्या होता है? पुलिस मामले का किस तरह खुलासा करती है? फिल्मी और असली पुलिस वालों में इतना अंतर क्यों है? कानून तोड़ने वालों की संख्या क्यों नहीं घटती? जैसे प्रश्नों की बौछार से पुलिस कप्तान के चेहरे पर कई भाव आते जाते रहे।
बेगूसराय : पुलिस क्या है? उसका काम क्या होता है? पुलिस मामले का किस तरह खुलासा करती है? फिल्मी और असली पुलिस वालों में इतना अंतर क्यों है? कानून तोड़ने वालों की संख्या क्यों नहीं घटती? जैसे प्रश्नों की बौछार से पुलिस कप्तान के चेहरे पर कई भाव आते जाते रहे। बच्चे पूछते रहे और वे उसका जवाब देते रहे। मौका था दैनिक जागरण के बाल संवाद कार्यक्रम के तहत स्कूली बच्चों का पुलिस अधीक्षक अवकाश कुमार से सीधा संवाद का। जेके प्लस टू स्कूल के विद्यार्थियों को बाल संवाद कार्यक्रम के तहत एसपी आफिस ले जाकर उन्हें पुलिसिया कामकाज की पूरी जानकारी दिलवाई गई। बच्चों ने जाना कि किस प्रकार पुलिस विधि-व्यवस्था को संभालती है, और कानून तोड़ने वालों को सजा दिलवाती है। फिल्मी और असली पुलिस में अंतर
बच्चों का प्रश्न था कि फिल्मों में पुलिस बड़े से बड़े अपराधी को करिश्माई अंदाज में गिरफ्तार कर लेती है। जबकि हकीकत में ऐसा देखने को बहुत कम मिलता है। एसपी अवकाश कुमार ने उन्हें बताया कि फिल्मों में निर्धारित काम होता है, जिसे हीरो को पूरा करना होता है। जबकि हकीकत में यहां कुछ भी निर्धारित नहीं है। कब क्या हो जाए, पुलिस कहां व्यस्त है और कहां उसकी जरूरत पड़ जाए, यह पुलिस वाले भी नहीं जानते हैं। दूसरी बात सुविधाओं की किल्लत भी कई परेशानियां उत्पन्न करती हैं। क्या पुलिस को भी डर लगता है
बच्चों ने एसपी से पूछा कि क्या पुलिस को भी क्रिमिनलों से डर लगता है। एसपी ने बताया कि पुलिस किसी का अहित करने से डरती है। पुलिस वालों की कोशिश होती है कि कोई गुनहगार बचे नहीं और कोई बेगुनाह फंसे नहीं। अगर कभी कोई बेगुनाह फंस जाता है तो डर लगता है, उसके परिवार-रिश्तेदार की ¨चता होती है। अपराधियों से पुलिस कभी नहीं डरती, बल्कि उसका मुकाबला करती है और उसे गलत कार्यों से रोकने के लिए जितनी सक्षम है, कोशिश करती है। बच्चों की हॉबी जानकर खुश हुए एसपी
विद्यार्थियों द्वारा निरंतर पूछे जा रहे प्रश्नों के बीच में ही एसपी ने उन्हें टोका और उनकी हॉबी जानने की कोशिश की। कुछ बच्चों ने शिक्षक तो कुछ डाक्टर-इंजीनियर बनने की ख्वाहिश जाहिर की। कुछ ने पुलिस, सेना और अन्य सुरक्षा सेवा में जाने की इच्छा जताई। वहीं, एक छात्रा ने मॉडल और ज्ञान भारती के एक छात्र ने रॉकस्टार बनने के अपने सपने का इजहार किया। जिस पर एसपी ने रॉकस्टार का सपना देखने वाले विद्यार्थी से कोई गीत सुनाने को कहा, विद्यार्थी ने काफी अच्छी आवाज में एक गाना भी गाया। अंत में एसपी ने उसे और उनके शिक्षक को सलाह दी कि बच्चे को पढ़ाने से अधिक उसकी प्रतिभा को निखारने पर बल दें। बच्चों को खिलाई टॉफी
पुलिस के बारे में विभिन्न प्रकार के राय लेकर एसपी ऑफिस पहुंचे बच्चे पुलिस अधीक्षक से मिलकर काफी प्रसन्न हुए। सवाल-जवाब के बीच में ही जब पुलिस कप्तान ने बच्चों के बीच टॉफियां बांटने का आदेश दिया तो बच्चों के चेहरे खिल गए। उसके बाद बच्चे और खुलकर पुलिस अधीक्षक से बातचीत करने लगे। कई बच्चों ने अपने मन की बात भी बताई और कई ने अपने सपने को पूरा करने के लिए व्यक्तिगत सलाह भी मांगी। एसपी ने बच्चों को कैरियर के संबंध में भी विस्तार से बताया। इन बच्चों ने पूछे प्रश्न
जेके इंटर स्कूल के नवम-दशम वर्ग की छात्रा बाघी निवासी स्मृति कुमारी पिता ललन मोहन शर्मा, अन्नू कुमारी पिता प्रकाश पंडित, शीलू कुमारी पित संजीव कुमार सिन्हा, अभिजीत रंजन व आशीष कुमार पिता रंजन कुमार सिन्हा, पावर हाउस निवासी ¨प्रसी कुमारी व जूली कुमारी पिता जितेंद्र कुमार, बाघा निवासी स्वाति कुमारी पिता राजकुमार खेतान, लोहियागनर की सोनम कुमारी पिता सुभाष ठाकुर, विवेक रौशन पिता विनोद कुमार सिन्हा, चिलमिल निवासी कनीज फातिमा पिता मो. कैयूम, गाछी टोला निवासी सपना कुमारी व राजनंदनी पिता अरुण पासवान, अंजली कुमारी पिता मनोज साह, काजल कुमारी पिता प्रेमलाल पासवान, कोमल कुमार पिता संजय महतो, छोटी कुमारी पिता पवन साह, बाघा निवासी अंजली कुमारी पिता जगदीश महतो, नवाबचौक निवासी निकहत परवीन पिता मो. अख्तर, उलाव निवासी खुशी कुमारी पिता मोती साह, बाघी निवासी साक्षी कुमारी पिता जितेंद्र साह सहित अन्य मौजूद थे।