आखिर किस गुनाह में फुरकान 36 घंटे रहा पुलिस हिरासत में
बेगूसराय : खेत खाये गदहा और मार खाये जुलाहा की कहावत को चरितार्थ किया है फुलवड़यिा थानाध्यक्ष ने। बीत
बेगूसराय : खेत खाये गदहा और मार खाये जुलाहा की कहावत को चरितार्थ किया है फुलवड़यिा थानाध्यक्ष ने। बीते 36 घंटे तक फुलवड़यिा गांव के मिल्लतनगर वासी मो. फुरकान को फुलवड़यिा थानाध्यक्ष ने हिरासत में रखकर निजी मुचलके पर छोडा। थानाध्यक्ष की इस कार्यशैली से स्थानीय जनता में आक्रोश है।
बताते चलें कि फुलवड़यिा-तीन निवासी राजेंद्र साह अपनी नाबालिग पुत्री के अपहरण का आरोप लगाते हुए वहीं के मो. मोनू, मो. सोनू, मो. रजा एवं रशीद के खिलाफ फुलवड़यिा थाना कांड संख्या 122/18 दिनांक 13 सितंबर 2013 को दर्ज कराया। तब पुलिस न तो अपहरणकर्ता को गिरफ्तार करती है और न ही अपहृता को बरामद करती है। बल्कि कांड के एक अभियुक्त राशिद के पिता फुरकान को लगातार तीन दिनों तक 12-12 घंटे तक थाना हाजत में बंद रखकर न खाना न पानी दिया। लोगों की दबिश पर निजी मुचलका लेकर प्रतिदिन छोड़ता और पकड़ता था। जब अपहृता 17.09.2018 को स्वयं अपने प्रेमी के साथ चेन्नई से वापस आई तो अदालत के समक्ष यह बयान देते हुए बताई कि मेरा अपहरण नहीं हुआ, बल्कि मैं मोनू से प्यार करती हूं और उससे शादी करना चाहती हूं। घर वालों को बिना बताए मोनू के साथ मैं बंगलोर जाना चाहती थी, परंतु चेन्नई से वापस आ गई। इस तरह का बयान अपहृता का आने के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश बढ़ गया और फुरकान के पक्ष में एक सामूहिक आवेदन अपने अधिवक्ता गोपाल कुमार के माध्यम से मानवाधिकार आयोग एवं पुलिस विभाग के वरीय अधिकारी से थानाध्यक्ष की कार्यशैली पर प्रश्न चिह्न खड़ा किया है।