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एम्बुलेंस कर्मी नहीं मान रहे सीएस समेत अन्य अधिकारियों का आदेश

बेगूसराय। जिले के 102, 108 एवं 1099 नंबर के एम्बुलेंस कर्मियों ने बीते 12 दिनों से हड़ताल कर जिला में

By JagranEdited By: Published: Fri, 02 Nov 2018 04:29 PM (IST)Updated: Fri, 02 Nov 2018 04:29 PM (IST)
एम्बुलेंस कर्मी नहीं मान रहे सीएस समेत अन्य अधिकारियों का आदेश
एम्बुलेंस कर्मी नहीं मान रहे सीएस समेत अन्य अधिकारियों का आदेश

बेगूसराय। जिले के 102, 108 एवं 1099 नंबर के एम्बुलेंस कर्मियों ने बीते 12 दिनों से हड़ताल कर जिला में सरकारी एम्बुलेंस सेवा को ठप कर दिया है। इन बारह दिनों में जिले के दस हजार से अधिक लोग परेशानी झेल चुके हैं। इस सेवा का लाभ लेने वाले अधिकांश गरीब ही हैं। लेकिन एम्बुलेंस संचालक अपनी मांगें पूरी कराने के लिए अड़े हैं। राज्य में एम्बुलेंस संचालन करने वाली कंपनी कस्टोडियम पशुपतिनाथ डिस्ट्रीब्यूटर, सम्मान फाउंडेशन एवं स्थानीय प्रशासन के कई बार के पहल के बाद भी हड़ताल समाप्त नहीं हो पाई है। सीएस ने कई बार की पहल पर नहीं सुन रहे

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राज्य में एम्बुलेंस संचालक कंपनी के अधिकारी व सिविल सर्जन ने इन 12 दिनों में कई बार हड़तालकर्मियों से मिलकर हड़ताल समाप्ति के लिए पहल की। जिला स्वास्थ्य समिति के अधिकारियों का प्रयास भी विफल साबित हुआ। सिविल सर्जन का लगातार प्रयास भी उन्हें नहीं डिगा पा रहा है। सिविल एसडीओ, डीडीसी के स्तर से एम्बुलेंस कर्मियों की हड़ताल समाप्ति का प्रयास भी बेकार गया। इसके बाद सिविल सर्जन ने कार्रवाई करने का लिखित अल्टीमेटम भी दिया लेकिन एंबुलेंसकर्मी उक्त अल्टीमेटम को भी पांच दिनों से ठेंगा दिखा रहे हैं। कंपनी ने अंत में एम्बुलेंस कर्मियों को एम्बुलेंस की चाबी विभाग को सौंपने का आदेश दिया। उसका भी अनुपालन दो दिनों से नहीं हुआ है। गुरुवार को भी जिला पदाधिकारी से सीएस की इस मुद्दे पर वार्ता हुई। लेकिन अबतक कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया है।

इधर, एम्बुलेंस चालक संघ भी गुरुवार को राज्य संघ से वार्ता कर इस हड़ताल को राज्यव्यापी करने के प्रयास में लगा है। अबतक संघ का अड़ियल रवैया पदाधिकारियों के आदेश निर्देश व वार्ता पर भारी पड़ता दिख रहा है। वहीं स्वास्थ्य व जिला प्रशासन इसको लेकर अबतक बैक फुट पर है। आमजनों को हो रही है काफी परेशानी

इस हड़ताल से सबसे बड़ी परेशानी प्रसव के लिए पीएचसी या सदर अस्पताल आने वाली महिलाओं, सीनियर सिटीजन, दिव्यांग व आपात रोगियों को हो रही है। वे निजी एम्बुलेंस या अन्य वाहनों को रिजर्व कर अस्पताल पहुंच रहे हैं। आमजनों को तीन-चार सौ से लेकिन एक हजार तक की राशि का अनावश्यक रूप से भुगतान करना पड़ रहा है।

आर्थिक रुप से संपन्न लोग तो खर्च वहन कर लेते हैं। लेकिन गरीबों के लिए यह हड़ताल एक तो करैला ऊपर से नीम चढ़ा वाली कहावत को चरितार्थ कर रहा है। अब देखना है कि इस हड़ताल से आमजनों को कब निजात मिलती है।


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