बांका में हर माह एक हजार मिल रहे नए मधुमेह के मरीज
बांका। डायबिटीज (मधुमेह) अमूमन उम्रदराज लोगों की बीमारी मानी जाती है। लेकिन हाल के वर्षों में इसकी तस्वीर बदली है।
बांका। डायबिटीज (मधुमेह) अमूमन उम्रदराज लोगों की बीमारी मानी जाती है। लेकिन हाल के वर्षों में इसकी तस्वीर बदली है। अब युवा वर्ग व बच्चे भी डायबिटीज के मकड़ जाल में फंस रहे हैं। इसमें 40 से कम उम्र के 30 फीसद युवा इसके जद में हैं। जिससे क्षेत्र में डायबिटीज का दायरा तेजी से बढ़ रहा है।
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यह बन रही वजह :
जिसकी बड़ी वजह लाइफ स्टाइल में आए बदलाव, मानसिक तनाव, खान-पान में लापरवाही, शारीरिक श्रम में कमी व प्रदूषण बन रही है। एक आंकड़े के मुताबिक यहां स्वास्थ्य केंद्रों पर होने वाले रूटीन चेकअप में हर माह करीब एक हजार लोगों में डायबिटीज के लक्षण पाए जा रहे हैं। इसकी एक वजह पाश्चात्य जीवन शैली में बढ़े श्वेत शर्करा, मैदा व ओजहीन खाद्य पदार्थों का प्रयोग भी है।
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टाइप वन डायबिटीज के शिकार हो रहे युवा :
आमतौर पर डायबिटीज की गिरफ्त में फंसने वाले युवा, टाइप वन डायबिटीज के शिकार हो रहे हैं। इसमें डायबिटीज का असर प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) पर पड़ता है। जो सीधे शरीर की इंसुलिन फैक्ट्री (बेटा-सेल) को प्रभावित करता है। जिससे शरीर में शुगर की मात्रा नियंत्रित करने की क्षमता खत्म होने लगती है। इसमें परिवार में डायबिटीज से ग्रस्त होने वाले लोगों की अगली पीढ़ी पर इसका खतरा बना रहता है। जिससे आज के युवा वंशानुगत डायबिटीज से ग्रसित हो रहे हैं।
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जीवन शैली से बढ़ रहा डायबिटीज का दायरा :
पाश्चात्य जीवन शैली अपनाने एवं फास्ट फूड के सेवन, ओवर न्यूट्रिशन व मानसिक तनाव से लोग टाइप टू डायबिटीज के शिकार हो रहे हैं। संजीव शर्मा ने बताया कि इससे शरीर में फैट बढ़ने लगता है। जो इंसुलिन को प्रभावित करता है। लेकिन शरीर में इसके असर तब दिखते हैं, जब लोगों के अग्नाशय 60 फीसद तक प्रभावित हो चुके होते हैं। इसके अलावा मशीनरी के बढ़ते क्रेज से लोग शारीरिक परिश्रम से पहरेज करने लगे हैं। जो डायबिटीज की वजह बन रही है।
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सादगी व संयम से डायबिटीज का खतरा होगा कम :
सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉ. सुनील कुमार झा बताते हैं कि डायबिटीज होने की एक नहीं कई वजह हैं। डायबिटीज होने से लोग, हार्ट अटैक, लकवा, टीबी, अंधापन व किडनी खराब होने की बीमार के भी शिकार होते हैं। गलत जीवन शैली, खान-पान में लापरवाही व असमान पोषण तत्वों का सेवन एवं शारीरिक परिश्रम की कमी से युवा वर्ग डायबिटीज के शिकार हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि सादगी व संयमित जीवन शैली से ही डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है।
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प्रायोडिकल प्रीवेंसी जरूरी :
इससे बचाव के लिए प्राइयोडिकल प्रिवेंसी जरूरी है। इसके लिए अभिभावकों को अपने बच्चों की दिनचर्या व उसके खान-पान का बेहतर ध्यान रखना चाहिए। स्कूल में भी शिक्षक इस पर नजर रखते हुए बच्चों को खेल-कूद व शारीरिक श्रम करने के प्रति प्रोत्साहित करें। इसके अलावा फास्ट फूड से तौबा व हरी साग-सब्जी का सेवन, नियमित व्यायाम एवं प्रोटिन, क्राबोहाइड्रेट एवं फैट की संतुलित मात्रा अपने आहार में प्रयोग करना चाहिए।
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डायबिटीज के लक्षण :
मोटापा, भूख-प्यास व पेशाब अधिक लगना, कमजोरी नपुंसकता, कम दिखाई देना, घाव का नहीं भरना, गुर्दे में पीड़ा का अनुभव, फंगल इंफेक्शन आदि डायबिटीज के शुरुआती लक्षण हैं।