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एक हाथ में तिरंगा दूसरे में कुदाल, इन महिलाओं ने गांव को दिलाई कलंक से निजात

बांका जिले के बौंसी गांव में महिलाओं ने खुद हाथ में कुदाल थाम लिया और सड़क बना ली। सड़क नहीं होने की वजह से महिलाओं को बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था।

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 05 Jun 2018 04:54 PM (IST)Updated: Wed, 06 Jun 2018 10:28 PM (IST)
एक हाथ में तिरंगा दूसरे में कुदाल, इन महिलाओं ने गांव को दिलाई कलंक से निजात
एक हाथ में तिरंगा दूसरे में कुदाल, इन महिलाओं ने गांव को दिलाई कलंक से निजात

 बांका [शंकर मित्रा]। खम ठोक ठेलता है जब नर, पर्वत के जाते पांव उखड़, मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है। कुछ ऐसा ही जोर लगाया है बिहार के बांका जिले की महिलाओं ने। यहां बौंसी प्रखंड के ऊपर नीमा गांव में डेढ़ सौ महिलाओं ने मिलकर तीन दिनों के भीतर दो किलोमीटर लंबी सड़क बना दी है।

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सड़क के अभाव में गांव की कई गर्भवती महिलाओं ने अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया था। महिलाओं ने गांव में सड़क नहीं होने को कलंक के रूप में लिया और निकल पड़ीं तिरंगा लेकर। 

इनका उत्साह देखकर भूस्वामियों ने भी सहर्ष ही अपनी जमीन दे दी। महिलाओं का साथ पुरुषों ने भी दिया और खेत की मिट्टी और पास ही नदी की उपशाखा के किनारे से बालू और मोरंग लाकर कामचलाऊ सड़क बना ली गई।

इस अभियान से जुड़ी दुर्गी मांझी ने बताया कि उनके गांव का किसी भी संपर्क पथ से नहीं जुड़ाव नहीं था। महज दो किलोमीटर दूर बौंसी मेला ग्राउंड के समीप आगरा छठ घाट के आगे भोली बाबा आश्रम पथ है। गांव से संपर्क पथ का जुड़ाव नहीं होने के कारण परेशानी हो रही थी।

काफी प्रयास के बाद भी कोई हल नहीं निकलने पर खुद ही मोर्चा संभाल लिया। तीन दिनों से श्रमदान कर रहीं थी। सोमवार को काम पूरा हो गया। पुरुषों का भी साथ भरपूर सहयोग मिला।  

 

प्रसव पीड़ा ने आधी आबादी को दिखाई राह 

सड़क नहीं रहने से महिलाओं को प्रसव के लिए बौंसी रेफरल अस्पताल ले जाना काफी मुश्किल भरा होता था। गांव की खूशबू देवी ने बताया कि इस गांव की छह से अधिक महिलाओं को पगडंडी पर ही प्रसव हुआ है। कई महिलाएं फिसल कर घायल हो चुकी हैं।

सड़क बनाने के अभियान से जुड़ीं झालो देवी, रेखा देवी, सुषमा देवी, गीता देवी और उषा देवी आदि ने बताया कि सड़क नहीं होना महिलाओं के लिए बड़ा दर्द था जिसे हमेशा के लिए खत्म कर दिया गया है। श्रमदान के क्रम में भीषण गर्मी के चलते दुर्गी मांझी और पार्वती देवी बेहोश हो गईं। इसके बावजूद महिलाओं के जोश में कोई कमी नहीं आई। 

ग्रामीणों ने दी अपनी जमीन 

ऊपर नीमा और जोरारपुर गांव के 500 घरों में दो हजार की आबादी बसती है। सड़क निर्माण के लिए कई ग्रामीणों ने अपनी खेती की जमीन दे दी। 

पूरी व्यवस्था पर तमाचा 

इस प्रयास पर बौंसी के प्रखंड प्रमुख बाबूराम बास्के ने कहा महिलाओं ने प्रंशसनीय काम किया है। यह जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही पूरी व्यवस्था पर तमाचा है।

वहीं बौंसी प्रखंड के बीडीओ अमर कुमार मिश्रा ने कहा कि महिलाओं का अद्मय साहस सराहनीय है। इस सड़क के लिए जमीन अधिग्रहण का प्रस्ताव भेजा गया है। कुछ लोग इस पर आपत्ति जता रहे थे। प्रशासन अब इस सड़क के पक्कीकरण का पूरा प्रयास करेगा। 


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