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समुद्र मंथन में भगवान शिव का एक पांव पड़ा था पैर पहाड़ी पर

बांका। पैर पंचायत में पैर पहाड़ी पर अवस्थित शिव मंदिर का इतिहास चार सौ साल से भी अधिक प्राचीन है।

By Edited By: Published: Fri, 12 Aug 2016 09:36 PM (IST)Updated: Fri, 12 Aug 2016 09:36 PM (IST)
समुद्र मंथन में भगवान शिव का एक पांव पड़ा था पैर पहाड़ी पर

बांका। पैर पंचायत में पैर पहाड़ी पर अवस्थित शिव मंदिर का इतिहास चार सौ साल से भी अधिक प्राचीन है। सौ फीट से अधिक उंचाई पर पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित भगवान शिव का शिव¨लग श्रद्धालुओं के आस्था का केन्द्र बना हुआ है। यहां सावन एवं महाशिवरात्रि के अलावा हर सोमवारी को शिव के जलाभिषेक एवं पूजा अर्चना को लेकर पड़ोसी राज्य झारखंड की सीमा निकट होने के कारण काफी भीड़ उमड़ती है।

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बताया जाता है कि यहां पर शिव¨लग की स्थापना नहीं की गयी है। बल्कि स्वत: भगवान शिव की उत्पत्ति हुई है। मंदिर के पुजारी पंडित सीएन शास्त्री बताते हैं कि भगवान भोलेनाथ के शिव¨लग को हाथों से हिलाने के बाद हिलते डोलते देख जमीनदार ने इसके चारों ओर खुदाई करायी थी। लेकिन शिव¨लग का अंत नहीं पाया गया। जिससे हारकर जमीनदारों ने शिव¨लग को सुर्कीचुना आदि डालकर जाम कर दिया। जिससे शिव¨लग का हिलना बंद हो गया। मंदिर में आज भी दीवार की ओर उसके दरवाजे चौकठ आदि पर पत्थर के निर्माण का प्रमाण आज भी मौजूद है। पुजारी ने बताया कि दंत कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन काल में जब भगवान शिव विषपान कर चले तो पहला कदम उनका इसी पैर पहाड़ी पर पड़ा। जिससे यहां आपरूपी भूमफोड़ महादेव का एक पत्थर का शिव¨लग स्थापित है।


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