सांप्रदायिक सौहार्द का संगम बना कांवरिया पथ
बांका। आस्था और विश्वास का पवित्र संगम माना जानेवाला विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला का कांवरिया मार्ग में जाति, धर्म, संप्रदाय सभी का बंधन टूट जाता है।
बांका। आस्था और विश्वास का पवित्र संगम माना जानेवाला विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला का कांवरिया मार्ग में जाति, धर्म, संप्रदाय सभी का बंधन टूट जाता है। यहां हर मजहब के लोग श्रद्धावान बनकर कांवरिया श्रद्धालुओं की सेवा में तत्पर हो जाते हैं।
मार्ग पर कांवरियों की सेवा में सभी धर्म के लोग लगे रहते हैं। कांवरिया मार्ग के धौरी, जिलेबिया, सुईया आदि जगह आदिवासी समुदाय, ईसाई धर्म मानने वाले के साथ साथ मुस्लिम धर्म के लोग भी बड़े आस्था से कांवरियों की सेवा में लगे रहते हैं। मुस्लिम समुदाय के हमीद मियां फल के कारोबारी है। मोहम्मद जलील व सबा बानों सब्जी व फल बेचते हैं, तो सैमून, शलील आदि भी तरह तरह के करोबार से मार्ग में जुड़े हैं। पूछने पर बताया कि हमारा धर्म भले अलग है लेकिन हम सभी एक ही ईश्वर के संतान हैं। हमलोग कांवरिया मार्ग में आने वाले देश विदेश के श्रद्धालुओं को अतिथि मानते हैं।
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गंदगी के आगोस में समाने लगा कांवरिया मार्ग
बेलहर : श्रावणी मेले के अभी 20 दिन ही गुजरे हैं और अधिकारियों के सुस्त होने का सिलसिला जारी हो गया है। जिस कारण कांवरिया मार्ग में गंदगी अपना पांव पसारना शुरू कर दिया है। जिला सीमा स्थित धौरी के कांवरिया मार्ग के आसपास गंदगी पसरी हुई है। मार्ग से चौरा गांव जानेवाले पहुंच पथ के दोनों तरफ कांवरियों द्वारा शौच करने से काफी दुर्गंध होती है। जिससे बीमारी होने से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। वहां के ग्रामीणों की माने तो अगर प्रशासन द्वारा पथ पर शौच नहीं करने का बोर्ड लगा दिया जाता तो शायद इतनी भयानक गंदगी नहीं होती। वहीं मार्ग के जोरीपार, कुराबा सहित कई जगह गंदगी दिखायी देती है।