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    Bihar Election Result 2025: तीन दशक बाद पहली बार बांका में बुझा लालटेन, नहीं खुला RJD का खाता

    Updated: Fri, 14 Nov 2025 03:34 PM (IST)

    बांका विधानसभा चुनाव में राजद का प्रदर्शन इस बार निराशाजनक रहा, पहली बार पार्टी का खाता नहीं खुला। नीतीश कुमार के शासन में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। मतदाताओं ने विकास और सुरक्षा को प्राथमिकता दी। 2010 में सबसे बुरे प्रदर्शन के बावजूद राजद ने बांका में सीट जीती थी, लेकिन इस बार स्थिति बदल गई। राजद जिलाध्यक्ष ने जनता के निर्णय को सर्वोपरि बताया।

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    राहुल कुमार, बांका। बिहार विधानसभा चुनाव में बांका की सीटों पर चली वोटों की तेज आंधी में पहली बार लालटेन पूरी तरह बूझ गया है। नीतीश के 20 साल राज में राजद की कभी बांका में यह दुर्दशा नहीं हुई थी। जिला के 10 लाख 29 हजार वोटरों में अधिकांश लालटेन को बुझाने की नीयत से ही ईवीएम के पास पहुंचे। 70 प्रतिशत से अधिक मतदान को कई सियासी जानकार सत्ता विरोधी लहर भी बता रहे थे। मगर बूथों पर चुप मतदाता ने विकास और सुरक्षा के साथ योजनाओं के लाभ पर सवार होकर वोट किया।

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    2010 के विधानसभा चुनाव में जब राजद का बिहार में सबसे बुरा हाल हुआ था, तब भी बांका में लालटेन नहीं बुझी थी। बांका सीट से उनके प्रत्याशी जावेद इकबाल अंसारी चुनाव जीत कर विधायक बने थे। 2015 और इसके बाद 2020 के विधानसभा चुनाव में भी राजद को एक-एक सीट मिली थी। 2015 में जदयू से गठबंधन कर चुनाव लड़ने पर राजद की स्वीटी सीमा हेम्ब्रम कटोरिया से विधायक बनीं थीं। तब राजद धोरैया सीट पर चुनाव हार गई थी।

    2020 के पिछले विधानसभा चुनाव में भी राजद की बूझती लौ को धोरैया ने सहारा दिया और उसके नेता भूदेव चौधरी विधायक बने थे। 2005 के नवंबर वाले विधानसभा चुनाव में जब बिहार में पहली बार नीतीश कुमार की सरकार बनीं तब भी बांका में राजद के दो विधायक थे। इसमें अमरपुर से सुरेंद्र सिंह कुशवाहा और कटोरिया से राजकिशोर प्रसाद उर्फ पप्पू यादव। जबकि इसके ठीक नौ महीने पहले 2005 फरवरी वाले चुनाव में राजद बांका की पांच में तीन सीटें जीतने में कामयाब रही थी।

    तब उसके एक नेता पप्पू यादव ने लोजपा से चुनाव लड़कर कटोरिया सीट जीत लिया था। इसके पहले लालू-राबड़ी राज में लालटेन का प्रदर्शन शत प्रतिशत वाला भी रहा। 2000 में उसके तीन विधायक थे तो 1995 में राजद का सर्वाधिक चार विधायक चुनाव जीता था। इसमें अमरपुर, बांका, बेलहर, कटोरिया सीट के आलवा उसकी सहयोगी सीपीआई ने धोरैया सीट भी जीत ली थी।

    1990 का विधानसभा चुनाव परिणाम नए युग की आहट वाला था। तब अमरपुर से निर्दलीय, धोरैया से सीपीआई, बेलहर व कटोरिया से कांग्रेस तथा बांका सीट भाजपा के रामनारायण मंडल जीते थे। इस चुनाव में रामनारायण मंडल पहली बार विधायक बने थे। यानी 1995 राजद का चरम था, जिसमें राजद के सिंबल पर चार विधायक बने।

    चार सीट जीतने वाला प्रदर्शन बांका में फिर कोई एक दल नहीं दुहरा सका। राजद का रिकार्ड अब बस इतिहास के पन्नों में दर्ज होने बन गया है। भले गठबंधन के नाते एनडीए 2025 के चुनाव में इसकी बराबरी कर ले गया। तीन दशक में वह चार से शून्य के स्कोर पर आकर सिमट गया। राजद के जिलाध्यक्ष अर्जुन ठाकुर ने कहा कि जनता का निर्णय सर्वोपरी है।

    2020 विधानसभा

    धोरैया-भूदेव चौधरी

    2015 विधानसभा

    कटोरिया-स्वीटी सीमा हेम्ब्रम

    2010 विधानसभा

    बांका- जावेद इकबाल अंसारी

    2005 नवंबर विधानसभा

    कटोरिया-राजकिशोर प्रसाद उर्फ पप्पू यादव

    अमरपुर- सुरेंद्र सिंह कुशवाहा

    2005 फरवरी विधानसभा

    अमरपुर- सुरेंद्र सिंह कुशवाहा

    बांका-जावेद इकबाल अंसारी

    बेलहर- रामदेव यादव

    2000 विधानसभा

    अमरपुर-सुरेंद्र सिंह कुशवाहा

    बेलहर- रामदेव यादव

    कटोरिया-गिरिधारी यादव

    1995 विधानसभा

    अमरपुर-सुरेंद्र सिंह कुशवाहा
    बांका-जावेद इकबाल अंसारी
    बेलहर-रामदेव यादव
    कटोरिया-गिरिधारी यादव
    धोरैया- नरेश दास सीपीआई गठबंधन से