Makar Sankranti 2023: पापहरणी सरोवर में स्नान करने से दूर हुआ था राजा आदित्य का चर्म रोग, अब उमड़ती है भीड़
Makar Sankranti 2023 मकर संक्रांति पर बांका के पापहरणी सरोवर में स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। बिहार के विभिन्न जिलों सहित झारखंड बंगाल नेपाल ओडिशा से श्रद्धालु पापहारिणी सरोवर में आस्था की डुबकी लगाने आते हैं।
बिजेन्द्र कुमार राजबंधु, बांका: जिला का मंदार स्थित ऐतिहासिक पापहरणी सरोवर की धार्मिक मान्यता है। इस कारण पूर्णिया, अमावस्या या अन्य कोई त्योहार पर सरोवर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु डुबकी लगाते हैं। मकर संक्रांति पर यहां श्रद्धालुओं में स्नान के लिए होड़ लगती है क्योंकि इसी दिन इस सरोवर की खुदाई हुई थी।
मंदार पहाड़ पर मौजूद अभिलेख के अनुसार सातवीं सदी में मगध के राजा आदित्य सेन अपनी पत्नी के साथ यहां आए थे। वे बहुत ही धार्मिक थे। इतिहासकार मनोज मिश्र बताते हैं कि तब छोटे से जलस्रोत के रूप में मंदार में मौजूद मनोहर कुंड था। इस कुंड में स्नान करने से राजा आदित्य सेन का चर्म रोग दूर होने लगा था। इसके बाद उन्होंने मकर संक्राति पर इसकी विस्तृत खुदाई करवाई थी। तब इस सरोवर को पापहरणी सराेवर से बुलाया जाने लगा।
सरोवर का जल औषधीय गुणों से युक्त था
पर्यावरणविद् प्रवीण कुमार कहते हैं कि पहले मंदार पर्वत जड़ी-बूटियों से आच्छादित था। मंदार से भी पानी रिसता था। जड़ी-बूटियों से होकर पापहरणी सरोवर में आने वाला जल औषधीय गुणों से युक्त था। इसमें कई अम्लीय तत्व भी थे, जो पेट और त्वचा संबंधी बीमारी को दूर करता था। हालांकि, अब न तो मंदार पर जड़ी-बूटी है न इससे पानी ही रिसता है।
आगे चलकर सफा धर्म के संस्थापक सह मंदार पहाड़ स्थित सबलपुर निवासी चंदर दास ने भी मंदार में सफा आश्रम की स्थापना 1940 में मकर संक्राति में ही की थी। इनके बिहार सहित झारखंड, बंगाल, नेपाल, ओडिशा सहित अन्य प्रांतों में एक लाख से अधिक अनुयायी हैं। इस कारण मकर संक्राति पर्व पर ही आदिवासियों का पवित्र पत्र सोहराय (वंदना) भी 11 से लेकर 15 जनवरी तक मनाया जाता है। इसमें विभिन्न प्रांतों से पहुंचे आदिवासी मंदार को अपना तीर्थस्थल मानकर भगवान राम, शिव और अपने ईष्टदेव मरांग का पूजा करते हैं।
50 हजार से अधिक श्रद्धालु डुबकी लगाएंगे
इस संबंध में सफा धर्म के वर्तमान आचार्य निर्मल दास ने बताया कि सफा धर्म की स्थापना के साथ ही सोहराय पर्व होने पर यहां लाखों की भीड़ जुटती है। 14 जनवरी को पचास हजार से अधिक लोगों की भीड़ स्नान के लिए जुटेगी। सभी लोग मंदार पहाड़ स्थित भगवान शिव, राम , सफा धर्म के संस्थापक चंदर दास व आदिवासी अपने ईष्ट देव की पूजा अर्चना के लिए जुटते हैं।