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टेली-लॉ का पोस्‍टर ब्‍वॉय बना बिहार का यह रिक्‍शावाला, जानिए इसकी कहानी

बिहार के बांका जिले का एक रिक्शावाला टेली लॉ योजना का पोस्टर ब्वॉय बना है। खुद दुख झेल चुका ये रिक्शावाला अपनी पत्नी के साथ मिलकर अब लोगों को जागरुक कर रहा है। जानिए इसकी कहानी

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 18 Jan 2020 10:45 AM (IST)Updated: Sat, 18 Jan 2020 09:16 PM (IST)
टेली-लॉ का पोस्‍टर ब्‍वॉय बना बिहार का यह रिक्‍शावाला, जानिए इसकी कहानी
टेली-लॉ का पोस्‍टर ब्‍वॉय बना बिहार का यह रिक्‍शावाला, जानिए इसकी कहानी

बांका [सोंटी सोनम]। केंद्र सरकार की टेली-लॉ योजना में बांका के रिक्शाचालक भरत यादव को पोस्टर ब्वॉय बनाया है। कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) की ओर से इस पोस्टर से देशभर में इस योजना का प्रचार किया जा रहा है। इस योजना से अकेले बांका जिले के 1000 से अधिक लोग लाभान्वित हो चुके हैं।

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पिछले साल सड़क दुर्घटना में बांका के समीप स्थित लकड़ीकोला गांव के भरत यादव का एक पांव टूट गया था। सदर अस्पताल में इलाज के दौरान उनका पांव और खराब हो गया। उसके बाद उन्होंने टेली-लॉ योजना से जुड़कर हाईकोर्ट के वकील से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बेहतर इलाज के लिए कानूनी सलाह ली थी। 

उसके आधार पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा उनके पांव का समुचित इलाज कराया था।  इलाज से उनका पांव तो ठीक नहीं हो सका, लेकिन अब वह पूरी तरह स्वस्थ हैंं। उनकी इस कहानी को भारत सरकार की टेली- लॉ योजना का पोस्टर बना लिया गया है। भरत और उनकी पत्नी जमीला देवी की तस्वीरें इस योजना के लाभुकों को जागरूक करने व इसके प्रचार प्रसार के काम आ रही हैं।

क्या है टेली-लॉ योजना

भारत सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को कानूनी सलाह के लिए टेली लॉ योजना शुरू की है। इसके जरिए उन्हें गांव में बड़े-बड़े अधिवक्ताओं से कानूनी सलाह लेने की सुविधा दी गई है। महिलाएं, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जन जाति वर्ग के लोग इस योजना का निश्शुल्क लाभ उठा सकते हैं। इसके लिए सीएससी में पंजीयन कराने के बाद अधिवक्ता से बातचीत का समय निर्धारित किया जाता है।

सीएससी में ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से वकील उन्हें कानूनी सलाह देते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इसके माध्यम से महिला उत्पीडऩ, दहेज प्रथा, पारिवारिक विवाद, जमीन संबंधी विवाद आदि से संबंधित खूब कानूनी सलाह ली जा रही है। 

योजना का हो रहा प्रचार-प्रसार 

इस योजना के प्रचार-प्रसार के लिए पंचायत स्तर पर एक पारा लीगल वॉलेंटियर की तैनाती की गई है। ग्रामीणों को इस योजना की जानकारी दिला कर उन्हें सीएससी भेजा जाता है। 

दो संचालकों को मिल चुका सम्मान

पिछले साल इस योजना में सबसे अधिक पंजीयन बांका जिले से हुआ था। दुधारी के कमल किशोर कुमार और पंकज मांझी ने इस योजना से 700 से अधिक लोगों को जोड़े। इसके लिए सीएससी की ओर से उन्हें पुरस्कृत किया गया था। इस योजना में देशभर के कुल 10 संचालक पुरस्कृत किए गए थे, जिनमें दो बांका के थे। 

कब हुआ योजना का शुभारंभ

अगस्त 2018 में इस योजना की शुरुआत पूरे देश में एक साथ हुई थी। पायलट प्रोजेक्ट के तहत 1200  केंद्रों पर एक साथ इसे शुरू किया गया था। उनमें बिहार के पांच सौ से अधिक सेंटर शामिल थे। बांका जिले की सभी 185 पंचायतों में इसकी सुविधा उपलब्ध है।  

जिला प्रबंधक प्रेम शंकर वत्स ने बताया कि योजना लोगों को सुविधाएं प्रदान करने में  कारगर साबित हो रही है। इसकी सहायता से अबतक जिले के एक हजार से अधिक लोग अपने गांव में ही बड़े वकीलों से कानूनी सलाह प्राप्त कर लाभान्वित हो चुके हैं। बांका की इसी उपलब्धि का नतीजा है कि यहां के लकड़ीकोला गांव के लाभुक भरत के परिवार को इसका पोस्टर बनाया गया है।


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