खेती-मजदूरी में बच्चे, स्कूलों में बन रही हाजिरी
बांका। सरकारी शिक्षण संस्थानों में ब'चों की कम उपस्थिति बांका की बड़ी समस्या है। इसके लिए सख्त कदम नहीं उठाने से स्थिति लगातार भयावह होती जा रही है।
बांका। सरकारी शिक्षण संस्थानों में बच्चों की कम उपस्थिति बांका की बड़ी समस्या है। इसके लिए सख्त कदम नहीं उठाने से स्थिति लगातार भयावह होती जा रही है। कक्षा से गायब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नसीब होना बिल्कुल बेमानी है। हालत यह कि सरकारी विद्यालयों के अधिकांश बच्चे खेती-मजदूरी में व्यस्त हैं। स्कूल अपनी लाज बचाने के लिए लगातार उनकी हाजिरी बना रहे हैं। पर अधिकारियों की जांच में कक्षा की जमीनी हकीकत हर दिन शिक्षा व्यवस्था को तार-तार कर रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पहली से आठवीं कक्षा तक जिला के 21 सौ विद्यालयों में चार लाख से अधिक नामांकन है। पर विद्यालयों में औसत उपस्थिति 50 प्रतिशत के करीब ही पहुंच पाती है। जब यहां आने के लिए बच्चों को हर दिन दोपहर भोजन, पोशाक, छात्रवृति, पुस्तक की राशि आदि उपलब्ध कराई जाती है। हाईस्कूल में नवमीं कक्षा की स्थिति भी यही है। लेकिन, इसके बाद की कक्षाओं का हाल सबसे बुरा है। दस से 12वीं कक्षा तक नामांकित बच्चों की उपस्थिति अधिकांश स्कूलों में पांच से 10 फीसदी तक ही दिखती है।
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ग्रामीण परिवेश बन रहा कारण :
जानकार शिक्षक बताते हैं कि सरकारी विद्यालयों में नामांकित अधिकांश बच्चे ग्रामीण परिवेश और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के होते हैं। खेती के काम में अधिकांश के परिवार अभिभावकों के साथ काम करते हैं। धनकटनी, धनरोपनी, श्रावणी मेला आदि के वक्त बच्चों की उपस्थिति काफी प्रभावित होती है। अधिकांश बच्चे अभिभावकों के साथ काम या घरेलू काम के कारण ही अनुपस्थित रहते हैं। कुछ बच्चों को स्कूल भेजने पर निश्चित रूप से उसके अभिभावक भी लापरवाह होते हैं। कुछ काम नहीं रहने पर भी वे बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर प्रेरित नहीं कर पाते हैं।
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कहते हैं अधिकारी
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, माध्यमिक व सर्वशिक्षा अहसन ने कहा कि अब शिक्षकों की अनुपस्थिति का मामला बांका में नहीं है। हर दिन स्कूल शिक्षक उपस्थिति पंजी की फोटो आधा घंटा के अंदर मोबाइल वाट्सअप ग्रुप पर मंगाई जाती है। समय पर नहीं आने वाले शिक्षकों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। बच्चों की 75 प्रतिशत उपस्थिति पर ही उसे सरकारी योजना का लाभ मिलना है। इस बार बड़ी संख्या में स्कूल नहीं आने वाले बच्चों को योजना का लाभ नहीं मिला। सभी विद्यालयों को सप्ताह दिन लगातार अनुपस्थित रहने वाले बच्चों का नाम काट कर काली पंजी संधारण का निर्देश दिया गया है। इससे बच्चों की उपस्थिति में कुछ सुधार हो रहा है। इसे और ठीक करने का प्रयास लगातार जारी है।