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स्टेट डेस्क---भदरिया के चांदन नदी में मिला प्राचीन अवशेष

बांका। प्रखंड के भदरिया गांव स्थित चांदन नदी की धारा में प्राचीन भवनों के अवशेष मिले हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 21 Nov 2020 09:42 PM (IST)Updated: Sat, 21 Nov 2020 09:42 PM (IST)
स्टेट डेस्क---भदरिया के चांदन नदी में मिला प्राचीन अवशेष
स्टेट डेस्क---भदरिया के चांदन नदी में मिला प्राचीन अवशेष

बांका। प्रखंड के भदरिया गांव स्थित चांदन नदी की धारा में प्राचीन भवनों के अवशेष मिले हैं। बरामद अवशेष लगभग 12 से 13 सौ स्क्वायर फीट में बिखरा है। प्राचीन भवनों के अवशेष तथा बसावट के प्रमाण मिलने से बौद्ध इतिहास एवं अन्य प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख तब के भद्दई (भदरिया) के ऐतिहासिक व पुरातात्विक साक्ष्य प्रमाणित हो रहा है।

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सूचना पाकर शनिवार की शाम एसडीओ मनोज कुमार चौधरी, एसडीपीओ डीसी श्रीवास्तव, सीओ सुनील कुमार साह एवं थानाध्यक्ष अरविद कुमार राय मौके पर पहुंचकर नदी में मिले प्राचीन भवनों के अवशेष का निरीक्षण किया। नदी में प्राचीन भवनों के अवशेष के अलावा भवन में प्रयुक्त ईंट के आकार व प्रकार को लेकर कई इतिहासकार ने इसे छठी-सातवीं शताब्दी यानि बौद्ध काल का बताया है।

ग्रामीणों ने बताया कि छठ घाट तैयार करने के लिए शुक्रवार को युवाओं की टीम गई थी। जहां नदी के पानी की धारा में प्राचीन भवन का अवशेष दिखाई दिया। सूचना पर सेवानिवृत्त शिक्षक परमानंद प्रेमी एवं उनके शोधकर्ता पुत्र आलोक प्रेमी वहां पहुंचे। उन्होंने बताया कि प्राचीन भवन के अवशेष में लगभग एक दर्जन कमरे के आकार में डेढ फीट लंबा व आठ ईंच चौड़ा तथा आयताकार, वर्गाकार, चतुर्भूजाकार सहित अन्य प्रकार के ईंट हैं। मृदुभाड़ तथा मवेशी को खिलाने के आकार का नाद भी है। नदी में प्राचीन भवनों के अवशेष मिलने से नदी सभ्यता का प्रमाण मिलता है।

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बौद्ध इतिहास में भगवान बुद्ध के आने का जिक्र

कई इतिहासकारों ने बौद्ध इतिहास में भगवान बुद्ध का भदरिया गांव आने का जिक्र किया है। जिसमें विक्रमशिला से नदी किनारे होते हुए 12 सौ बौद्ध भिक्षु के साथ भदरिया गांव पहुंचे थे।

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कोट

बौद्ध ग्रंथों में भगवान बुद्ध 12 सौ बौद्ध भिक्षु के साथ वैशाली से भदरिया गांव में आने का जिक्र है। इन्हीं ग्रंथों में भदरिया के कुशल व्यवसायी मेणडक की चर्चा है। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह एक व्यापारिक केंद्र रहा होगा। भवनों के अवशेष तथा ईंट के आकार से अनुमान लगाया जा सकता है कि यह 25 सौ वर्ष पुराने हैं। जो परवर्ती विस्तृत खोदाई और शोध अध्ययन के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा। इस तरह के ईंट सारनाथ के संग्राहालय में हैं।

डॉ. रविशंकर कुमार चौधरी, असिस्टेंट प्रोफेसर, टीएनबी कालेज

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कोट

बरामद अवशेष का सही आकलन शोध अध्ययन से ही स्पष्ट हो पाएगा। तत्काल अवशेष से छेड़छाड़ नहीं हो। इसके लिए स्थानीय पुलिस को निगरानी करने का निर्देश दिया गया है। पटना पुरातात्विक विभाग को सूचित कर दिया गया है। जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

मनोज कुमार चौधरी, एसडीओ, बांका


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