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लालगढ़ में सब्जी की खेती से समृद्ध हो रहे आदिवासी

बांका। कृषि विज्ञान केन्द्र की पहल पर नक्सल प्रभावित इलाकों के आदिवासी किसान सब्जी की खेती कर समृद्ध बन रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 10:08 PM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 10:08 PM (IST)
लालगढ़ में सब्जी की खेती से समृद्ध हो रहे आदिवासी
लालगढ़ में सब्जी की खेती से समृद्ध हो रहे आदिवासी

बांका। कृषि विज्ञान केन्द्र की पहल पर नक्सल प्रभावित इलाकों के आदिवासी किसान सब्जी की खेती कर समृद्ध बन रहे हैं। इसके लिए केविके ने वर्ष 2016-17 से चिन्हित आदिवासी बहुल इलाकों में आदिवासी उप योजना के तहत किसानों को जागरूक कर सब्जी की आधुनिक खेती से जोड़ा गया है। गरीबी, कुपोषण और नक्सली वारदातों का दंश झेल रहे आदिवासी बहुल इलाकों सब्जी उत्पादन, मुर्गी पालन, सामुदायिक नर्सरी और फलदार पौधों को बढ़ावा मिल रहा है। जबकि इस योजना से पहले आदिवासी समुदाय के लोग सब्जी की खेती को लेकर उदासीन थे। हालांकि कुछ किसान सब्जी की खेती छिड़काव विधि से करते थे। जिससे उन्हें सही उपज नहीं मिल पाती थी। जबकि कई आदिवासी किसान सब्जी की खेती करने से कतराते थे। लेकिन आज आदिवासी बहुल बूढ़वाबथान, खिरकीतरी, नकटी, लौगाय, मंझलाडीह, बनरचुआ आदि गांवों में महिलाएं व युवक आधुनिक तकनीक से सब्जी की खेती कर अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं। बूढ़वाबथान गांव के किसान राजेन्द्र बेसरा, जितेन्द्र टुडू, देवानंद टुडू ने बताया कि केविके के तकनीकी सहयोग से वे वैज्ञानिक तरीके से सब्जी की खेती कर रहे हैं। जिससे उसे प्रति कट्ठा छह से सात हजार रूपए का फायदा हुआ है। पहले वे बरसात में सब्जी नहीं लगाते थे और लता वाली सब्जियों के पौधे सीधे •ामीन में बुन देते थे। लेकिन उद्यान वैज्ञानिक डॉ. सुनीता कुशवाह की पहल पर उनलोगों को म¨ल्चग विधि, मछान विधि और पौधशाला प्रबंधन के तकनीक से सब्जी की अच्छी पैदावार कर रहे हैं। डॉ. सुनीता ने बताया कि इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य आदिवासी किसानों को आधुनिक कृषि से जोड़ना और गुणवत्तायुक्त पोषण प्रदान करना है। केंद्र की वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ कुमारी शारदा ने कहा कि आदिवासी उपयोजना के तहत आदिवासी समुदाय की आजीविका बढ़ाने एवं पोषण स्तर में सुधार लाना है। इसके लिये मुर्गी पालन को बढ़ावा देने के लिए उसे चूजे, फलदार पौधे व सब्जियों के मिनी किट उपलब्ध कराए गए। वहीं इनके पोषण स्तर में सुधार के साथ आय को बढ़ाने के लिए कृत्रिम गर्भाधान एवं पशु स्वास्थ्य में सुधार के लिए प्रशिक्षण व प्रत्यक्षण कराए गए। उन्होंने बताया की अभी तक चयनित आदिवासी गांव में कुल तीन हजार फलदार पौधे लगाए जाने के साथ ही 50 हेक्टेयर भूमि में सब्जी उत्पादन किया जा रहा है।

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