वर्षा के नहीं दिख रहे आसार, खेतों में पड़ने लगी दरार
बांका। जिले में 90 फीसद से अधिक धान के बीचड़ों की बोआई हो चुकी है लेकिन मानसून की बेरुखी से अब तक यहां धान रोपनी का ग्राफ एक फीसद का आंकड़ा भी पार नहीं कर सका है।
बांका। जिले में 90 फीसद से अधिक धान के बीचड़ों की बोआई हो चुकी है लेकिन मानसून की बेरुखी से अब तक यहां धान रोपनी का ग्राफ एक फीसद का आंकड़ा भी पार नहीं कर सका है। यहां अभी बारिश के आसार भी नहीं दिख रहे हैं। इस बार जुलाई में अब तक सामान्य वर्षापात की तुलना में 40 फीसद से भी कम बारिश रिकार्ड किए गए हैं। जबकि सामान्य 297 एमएम बारिश की तुलना में अब तक महज 100 एमएम ही बारिश हुई है। जिसकी वजह से खेतों में दरारें अपनी जगह बनाती जा रही है। खेतों में लगे धान के बिचड़े भी पीले पड़ते जा रहे हैं।
शुक्रवार की देर रात आसमान में छाए काले बादल ने बारिश की कुछ बूंदे टपकाई, लेकिन इससे खेतों की प्यास बुझाने में नाकाफी साबित हुई। ऐसे में यहां के पिछले नौ वर्षों के वर्षापात के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2009, 2010, 2012, 2013 एवं 2015 में यहां सामान्य से 30 फीसद कम बारिश हुई थी। जिससे क्षेत्र के कई इलाकों में सुखाड़ की स्थिति पैदा हो गई थी। इस बार भी यहां सुखाड़ की संभावना बन रही है। जिसने किसानों के साथ ही विभाग की भी ¨चता बढ़ गई है।
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15 जुलाई से 15 अगस्त तक है धान की बोआई का समय :
मानसून के आगाज के साथ ही जिले में धान का बिचड़ा लगाना शुरू कर देते हैं। जो जुलाई के प्रथम सप्ताह से तैयार होने लगता है। इसके बाद किसान 15 जुलाई से 15 अगस्त तक अपने खेतों में धान की बुआई कर देते हैं। क्षेत्रीय किसान सियाराम राउत, धन्नो यादव, अर¨वद यादव आदि ने बताया कि यहां खास कर सीतासार, सवर्ना, संभा, मंसूरी व बासमित धान की खेती होती है। जिसके बुआई का यही सही वक्त होता है।
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सीधी बोआई करने वाले किसानों को हो रही हानि :
जिले में 98 हजार हेक्टेयर भूमि में धान की खेती का लक्ष्य है। इसमें 736 एकड़ भूमि में हरित क्रांति योजना के तहत जीरोटीलेज एवं सीड ड्रील मशीन के जरिये धान की सीधी बोआई की जा रही है। इसमें करीब 30 फीसद से अधिक भूमि पर धान की सीधी बोआई की गई है। लेकिन बारिश ना होने की वजह से धान के बीज जमीन में ही दफन हो गए। जिससे किसानों को हानि सहनी पड़ रही है। ¨वडी गांव के किसान रिपूसूदन ¨सह ने बताया कि उसने अपने एक बीधे जमीन में धान की सीधी बुआई की थी। जो बारिश नहीं होने से नष्ट हो गए। अब वे पटवन कर वहां धान के बिचड़े की बुआई करेंगे।
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कोट
क्षेत्र में समय पर बारिश नहीं होने से धान की बोआई प्रभावित हुई है। इसको देखते हुए 500 किसानों को सहभागी धान के बीज उपलब्ध कराए गए है। जो कम बारिश में भी अच्छी पैदावार देता है। वहीं, डीजल अनुदान के लिए किसानों से ऑन लाइन आवेदन लिए जा रहे हैं।
सुदामा महतो, डीएओ