कश्मीर से लौटे प्रवासियों की जेहन में है आतंकियों का खौफ
बांका। बेटे की हत्या के बाद जहां अरविद के स्वजन गमगीन हैं वहीं कश्मीर में रह रहे लोगों के स्वजन अपनो के सुरक्षित लौटने का इंतजार कर रहे हैं। आज भी ग्रामीणों के चेहरे पर दहशत साफ छलक रही है।
बांका। बेटे की हत्या के बाद जहां अरविद के स्वजन गमगीन हैं, वहीं कश्मीर में रह रहे लोगों के स्वजन अपनो के सुरक्षित लौटने का इंतजार कर रहे हैं। आज भी ग्रामीणों के चेहरे पर दहशत साफ छलक रही है। स्वजनों के जेहन में आतंकियों का खौफ इस कदर बैठ गया है कि वे अपनों को अपनी आंखों के सामने देखने को ब्याकुल हैं।
उन्होंने बताया कि जब तक उसके अपने सकुशल वापस घर नहीं लौट आते तब तक उसके दिल को शकुन नहीं मिलेगा। वहीं, कश्मीर में रोजगार करने वालों के लौटने का सिलसिला जारी है। घटना के बाद से ही डरे सहमे स्वजन हर वक्त फोन से अपनों की कुशल क्षेम ले रहे हैं। फोन की घटनटी बजते ही लोगों के दिल की धड़कने तेज हो जाती है।
कश्मीर से लौटे पड़घड़ी गांव के कुंदन साह, रोहित साह, पवन, बजरंगी, जितेंद्र, दुर्गेश्र सहित दो दर्जन प्रवासियों को सुरक्षित वापस आता देख उनके स्वजनों की आंखें ने छलक गई। इन लोगों ने वहां के हालात की जानकारी जब स्वजनों को दी तो सभी के रोंगटे खड़े हो गए। बताया कि आतंकी हमले के बाद कश्मीर में एक एक पल गुजरना भारी पड़ रहा था। हर वक्त मौत का साया उनलोगों पर मंडरा रहा था। श्रीनगर सहित आस-पास के जिले में आतंकी गैर कश्मीरी को अपना निशाना बना रहे हैं। उनलोगों ने बताया कि गांव में काम करने पर वे बड़ी मुश्किल से अपना व अपने परिवार का गुजारा कर पा रहे थे। जिससे मजबूरन उसे रोजगार के लिए कश्मीर जाना पड़ा। वहां कारोबार में अच्छा मुनाफा होने से उसकी आर्थिक स्थिति संवर रही थी, लेकिन आतंकी हमले ने उनसे उनका रोजगार भी छीन लिया। कश्मीर से लौटे युवाओं में इस कदर खौफ है कि वे अपनी तस्वीर खींचवाने से भी डरते हैं कि आधार कार्ड के बाद अब तस्वीर के आधार पर आतंकी उसे मौत के घाट न उतार दें। वहां ऐसे हालात हैं कि कब कौन आतंकवादियों का निशाना बन जाएगा ये कह पाना कठिन है। प्रवासी वहां से घर लौटने के लिए बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन व हवाई अड्डे का चक्कर लगा रहे हैं। जिसे जो साधन मिल रहा है वहां से अपने घर की ओर रवाना हो रहे हैं।