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प्राइवेट स्कूलों के बसों का बदलेगा रंग, नियम भी सख्त

जागरण संवाददाता बांका प्राइवेट स्कूल के बसों के रंग के साथ इसका परिचालन का नियम भी बदलेगा। 15 जुलाई से पहले तक सभी विद्यालयों को अपने बस के साथ इसके कागजात को भी अपडेट कर लेना है। इसके बाद परिवहन विभाग स्कूल बसों की नियमित जांच करेगा। इसमें नियम का उल्लंघन सामने आने पर संबंधित विद्यालय प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 30 Jun 2022 09:44 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jun 2022 09:44 PM (IST)
प्राइवेट स्कूलों के बसों का बदलेगा रंग, नियम भी सख्त
प्राइवेट स्कूलों के बसों का बदलेगा रंग, नियम भी सख्त

फोटो- 30बीएन 2

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- डीएम ने सभी प्रधानाध्यापकों के साथ बैठक कर दिया अल्टीमेटम

- जिला बाल संरक्षण समिति की पहली बैठक आयोजित

- 15 जुलाई से पहले बस के साथ कागजात भी कर लें अपडेट

- 40 किलो मीटर प्रति घंटे से अधिक बस की रफ्तार नहीं हो

- 150 मिमी चौड़ा बैंड पेंट कर खिड़की पर नाम लिखना है

जागरण संवाददाता, बांका : प्राइवेट स्कूल के बसों के रंग के साथ इसका परिचालन का नियम भी बदलेगा। 15 जुलाई से पहले तक सभी विद्यालयों को अपने बस के साथ इसके कागजात को भी अपडेट कर लेना है। इसके बाद परिवहन विभाग स्कूल बसों की नियमित जांच करेगा। इसमें नियम का उल्लंघन सामने आने पर संबंधित विद्यालय प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस निमित्त डीएम अंशुल कुमार ने सभी विद्यालय प्रबंधक और प्रधानाचार्य के साथ गुरुवार को जिला बाल परिवहन समिति की पहली बैठक समाहरणालय सभागार में की। बैठक में डीटीओ अशोक कुमार, डीईओ पवन कुमार, नगर परिषद सभापति संतोष सिंह, एसडीओ डीसी श्रीवास्तव, मुख्यालय डीएसपी मंगलेश कुमार सिंह, प्रमुख रूप से मौजूद थे। डीएम ने बैठक में प्रधानाध्यापकों का स्वागत करते हुए कहा कि बच्चों को घर से विद्यालय तक सुरक्षित पहुंचाना हम सभी की जिम्मेदारी है। इसके लिए परिवहन व्यवस्था का मानक के अनुरूप अक्षरश: पालन जरूरी है। सबसे पहले विद्यालयों को वाहन चालक की जांच कर रखा जाना है। बसों की बाडी सुनहरी पीली रंग की होगी। साथ ही सभी खिड़की पर भूरे 150 मिमी चौड़ा सुनहरा भूरा रंग का एक बैंड पेंट कर उसपर स्पष्ट अक्षर में नाम लिखा जाना है।

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तीन तरह के वाहनों का होगा उपयोग

हर विद्यालय तीन तरह के वाहनों का ही उपयोग बच्चों के परिवहन में कर सकते हैं। पहला बस या वाहन स्कूल प्रबंधक या प्रधानाचार्य के नाम से विधिवत पंजीकृत हो। दूसरा बच्चों के परिवहन के लिए आपरेटर और विद्यालय प्रबंधक के बीच किराया या लीज पर संचालित वाहन हो। तीसरा विद्यालय प्रबंधन या अभिभावक की सहमति से किसी विद्यालय के बच्चों का परिवहन कर रहा हो। सभी प्रकार के बसों में आन स्कूल ड्यूटी अनिवार्य रूप से लिखा होना चाहिए। इसकी रफ्तार 40 किमी प्रति घंटे से अधिक की नहीं हो।

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स्कूलों के बीच हो प्रतियोगिता

डीएम ने बैठक के दौरान प्रस्ताव दिया कि बड़े स्कूल अगुवाई कर सभी स्कूलों की प्रतियोगिता कराएं। खासकर खेल प्रतियोगिता का आयोजन सफल हो सकता है। इससे छात्रों का मानसिक और शारीरिक विकास होगा। उन्होंने सभी विद्यालय से बच्चों को कोविड का टीकाकरण अनिवार्य रूप से करा लेने के लिए कहा है।


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