छठ की आस्था, भक्ति और स्वच्छता में डूबा रहा जनमानस
बांका। सूर्य उपासन और स्वछता का महापर्व छठ जिला भर में आस्था और भक्ति के वातावरण में बनाया गया। पिछले चार दिनों से इस कारण हर गांव और गली में आस्था का जनसैलाब उमड़ा रहा।
बांका। सूर्य उपासन और स्वच्छता का महापर्व छठ जिला भर में आस्था और भक्ति के वातावरण में बनाया गया। पिछले चार दिनों से इस कारण हर गांव और गली में आस्था का जनसैलाब उमड़ा रहा।
शुक्रवार शाम और शनिवार सुबह जिला की प्रमुख नदियों चांदन, ओढ़नी, दरभाषण, बदुआ, गेरुआ, सुखनिया, कतरिया, डकाई, चीर आदि नदियों के किनारे पर भक्तों की मानव श्रृंखला सूर्य की आराधना में जमा रहे। छठ मईया के गीतों के बोल के साथ सड़क से पगडंडी की सफाई लोगों में आस्था का समंदर पैदा कर रहा था। बांका शहर के लोगों ने पूर्व की परंपरा के मुताबिक चांदन और ओढ़नी नदी में छठ का अर्घ्यदान किया। चांदन नदी में भयहरण स्थान घाट पर सर्वाधिक भीड़ लगी थी। नगर परिषद के साथ पूजा समिति ने कई सुविधा यहां उपलब्ध कराई थी। प्रशासन ने व्रती महिलाओं के लिए दर्जन भर चेंजिग रूम बनवाया था। सुबह पूर्व मंत्री सह विधायक रामनारायण मंडल ने भी इस घाट पर अर्घ्यदान किया। तारा मंदिर घाट पर शहर के पश्चिमी हिस्से के लोगों की भीड़ रही। दोनों जगहों पर आस्था की भीड़ में कोरोना संक्रमण का कोई प्रभाव नहीं दिखा। घाट पर पहुंचने से न बूढ़े रूके ही बाल हठ ही रूक पाया। लोगों में कोरोना को लेकर भी कोई ऐतिहात नहीं दिखा। मास्क भी इक्का दुक्का चेहरे पर भी दिखा। पुलिस-प्रशासन की व्यवस्था भी बस दिखावे तक रही। घाट वाले रास्तों में भी दोपहिया और चारपहिया वाहन आसानी से प्रवेश कर रहा था। जिससे भक्तों को पैदल डाला ले जाने में परेशानी हुई। हालांकि, घाटों पर एंबुलेंस के साथ पुलिस-प्रशासन की गाड़ी लगी रही।
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घर और छत पर नहीं मना छठ
नदियों के जिला में घर और छत पर छठ मनाने की अपील बांका में पूरी तरह फेल रही। घाट पर स्वच्छता और आसानी से साफ-सुथरी जगह मिल जाने से लेाग घर में इस बार भी छठ करने को तैयार नहीं हुए। पूरा शहर सुबह-शाम अपने परिवार के साथ दोनों नदियों की धारा पर जमा हो गया, जबकि कोरोना काल में इस बार कई भीड़ वाले शहरों में छत पर छठ करने का चलन शुरू हुआ। बांका इससे अछूता रह गया। इसकी वजह नदियां रहीं।