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प्रशासन ने पार की शांतिपूर्ण पंचायत चुनाव की बाधा

जागरण संवाददाता बांका पांच साल बाद बांका में एक पंचायत चुनाव फिर समाप्त हुआ मगर ऐसा शांतिपूर्ण पंचायत चुनाव पहली बार हुआ। 10 चरण के उबाउ मतदान के बाद भी किसी चरण में मतदान के दौरान कहीं कोई हिसा नहीं हुई। किसी चरण में कहीं खून-खराबा या मारपीट की भी नौबत नहीं आई।

By JagranEdited By: Published: Wed, 08 Dec 2021 09:12 PM (IST)Updated: Wed, 08 Dec 2021 09:12 PM (IST)
प्रशासन ने पार की शांतिपूर्ण पंचायत चुनाव की बाधा
प्रशासन ने पार की शांतिपूर्ण पंचायत चुनाव की बाधा

- बिना खून-खराबा और मारपीट के सभी 10 चरण का मतदान पूरा

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- नक्सल प्रभावित बेलहर में भी शांतिपूर्ण रहा मतदान

जागरण संवाददाता, बांका : पांच साल बाद बांका में एक पंचायत चुनाव फिर समाप्त हुआ, मगर ऐसा शांतिपूर्ण पंचायत चुनाव पहली बार हुआ। 10 चरण के उबाउ मतदान के बाद भी किसी चरण में मतदान के दौरान कहीं कोई हिसा नहीं हुई। किसी चरण में कहीं खून-खराबा या मारपीट की भी नौबत नहीं आई।

मतदान से ठीक पहले मुखिया की हत्या जैसे मामले से पुलिस-प्रशासन के लिए शांतिपूर्ण मतदान संपन्न कराना बड़ा टास्क था। सबसे खास बात कि शांतिपूर्ण मतदान के लिए जिला को बहुत ज्यादा अतिरिक्त पुलिस बल भी नहीं मिला। अधिकांश बूथ पर होमगार्ड जवानों ने बेड़ा पार करा दिया। खासकर प्रशासन की बड़ी चुनौती नक्सल प्रभावित बेलहर के अलावा जंगल पहाड़ वाले चांदन, कटोरिया में शांतिपूर्ण मतदान करा लेना था। मगर पुलिस-प्रशासन इसमें पूरी तरह सफल रहा।

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चांदन-कटोरिया के लोग मतदान में रहे सबसे आगे

जिला के सभी 11 प्रखंड में 10 चरण का मतदान पूरा हो गया है। मतदान प्रतिशत में इस बार जंगल-पहाड़ का इलाका आगे निकल गया। महिलाएं मतदान में सबसे सजग रही। सभी 11 प्रखंड में महिला के मतदान का प्रतिशत आठ से 16 प्रतिशत तक अधिक रहा। जंगल-पहाड़ वाले इलाके में साक्षरता दर भले कम हो, लेकिन मतदान में कटोरिया और चांदन दोनों सबसे आगे निकल गया, जबकि दोनों प्रखंड में मतदान के लिए दो घंटा कम समय दिया गया था। खास बात यह कि बोगस मतदान की काफी कम संभावना के बाद भी मतदान का प्रतिशत पिछले लोकसभा और विधानसभा से 10 फीसद तक अधिक रहा। दोनों का मतदान प्रतिशत 70 पार कर गया। इस दोनों का मतदान प्रतिशत लोकसभा और विधानसभा चुनाव के मतदान से 15 प्रतिशत से भी अधिक रहा। मतलब साफ कि कम साक्षरता के बावजूद लोगों ने गांव के लोकतंत्र का महत्व समझा। सबसे बड़ी बात यह कि इस दोनों प्रखंड में अधिकांश लोग परदेश में मजदूरी करने वाले हैं, लेकिन मतदान में वोट डालने घर आए और गांव की सरकार बनाकर ही परदेश लौटे। मतदान प्रतिशत में सबसे बुरा हाल समृद्ध प्रखंडों का रहा। इसमें शंभुगंज सबसे पीछे रह गया। इसके बाद अमरपुर और बौंसी प्रखंड का स्थान रहा।

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प्रखंड वार मतदान प्रतिशत

धोरैया-63.8

बांका-65.98

रजौन- 66.85

बौंसी-62.2

अमरपुर-63.98

बाराहाट-69

शंभुगंज-63.04

कटोरिया-70.55

चांदन- 70.5

फुल्लीडुमर-66.88

बेलहर-66.96


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