जिले के पांच प्रखंड अब भी दमकल विहीन
बांका। बांका के जिला बने तीन दशक पूरा हो गया है। तीन दशक बाद भी हर प्रखंड को दमकल नहीं मिल पाया है। जबकि हर साल अग्निकांड में करोड़ों रुपये का नुकसान होता है।
बांका। बांका के जिला बने तीन दशक पूरा हो गया है। तीन दशक बाद भी हर प्रखंड को दमकल नहीं मिल पाया है। जबकि हर साल अग्निकांड में करोड़ों रुपये का नुकसान होता है। फरवरी में पछुआ हवा का साथ पाकर छोटी सी चिगारी भी बड़े अग्निकांडों में तब्दील हो जाती है। जिसका सिलसिला जून तक चलता है।
संसाधन के अभाव में अग्निशमक विभाग आग पर काबू पाने के बजाय राख में दबी चिगारी ही बुझा पा रही है। पांच प्रखंड अब भी दमकल की व्यवस्था प्रशासनिक स्तर से नहीं हुआ है। बाराहाट, बांका, बौंसी, फुल्लीडुमर, धोरैया और कटोरिया को छोड़कर अन्य प्रखंड में इसकी सुविधा नहीं है। इन प्रखंडों में आग की घटना पर आनन-फानन में दूसरे प्रखंड से दमकल को आग बुझाने के लिए भेजा जाता है। जिसके पहुंचते-पहुंचते आग अपना काम तमाम कर बैठती है। इसके बाद फायर ब्रिगेड की टीम सिर्फ गांव वालों को दमकल दिखाकर वापस लौट आती है। जिससे पुरानी कहावत याद आती है, घर जल्लै, जल्लै दमकल त देखलियै। पिछले साल पूरे जिला में 129 अग्निकांड हुए थे। धोरैया से सबसे अधिक अग्निकांड का मामला सामने आता है।
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अमरपुर की बड़ी आबादी अब भी सुविधा विहीन
जिला का सबसे बड़ी आबादी अमरपुर प्रखंड की है। अमरपुर विधानसभा के दोनों प्रखंडों में दमकल की सुविधा नहीं है। शंभूगंज और अमरपुर में अग्निकांड की घटना पर बांका या फुल्लीडुमर से आग को काबू करने पहुंचते हैं। जबकि सरकार ने हर 50 हजार की आबादी पर एक दमकल की सुविधा का प्रस्ताव दिया है। जिला की आबादी के मुताबिक 10 दमकल भरोसे है। तीन बड़ा, एक माध्यम और छह छोटा वाहन इस पर काबू पाता है। दस वाहन चलाने के लिए सिर्फ आठ चालक कार्यरत हैं। जबकि हर बड़े वाहन पर चालक से साथ चार कर्मियों की आवश्यकता होती है। छोटे वाहन पर चालक के साथ तीन कर्मियों की तैनाती अनिवार्य है। लेकिन इसमें भी कर्मियों का अभाव है। फरवरी से जून अंत तक इस तरह की घटना तेज हो जाती है।
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कोट
जिला में 10 दमकल उपलब्ध है। इसे पांच केंद्र पर रखा गया है। बांका के अलावा दूरी वाले प्रखंड धोरैया, कटोरिया, बौंसी में दमकल उपलब्ध है। जरूरत पड़ने पर समीप के प्रखंड से इसका प्रयोग किया जा रहा है।
डीसी श्रीवास्तव, एसडीपीओ