Move to Jagran APP

सूनी रह गई शहीद सतीश की गलियां, भतीजे ने किया माल्यार्पण

बांका। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान मातृभूमि की रक्षा के लिए युवावस्था में शहीद होने वाले वीर शहीद सतीश चंद्र झा के जन्म दिवस को भी लोगों ने इस बार भूला दिया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Jan 2020 10:11 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jan 2020 06:11 AM (IST)
सूनी रह गई शहीद सतीश की गलियां, भतीजे ने किया माल्यार्पण
सूनी रह गई शहीद सतीश की गलियां, भतीजे ने किया माल्यार्पण

बांका। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान मातृभूमि की रक्षा के लिए युवावस्था में शहीद होने वाले वीर शहीद सतीश चंद्र झा के जन्म दिवस को भी लोगों ने इस बार भूला दिया। किसी भी जनप्रतिनिधि व अधिकारियों ने इनके जन्मदिवस पर उनकी ढाकामोड़ स्थित प्रतिमा पर फूल तक नहीं चढ़ाए।

loksabha election banner

भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान बिहार में जबरदस्त उबाल था। आंदोलनकारियों ने अपने खून से जगह-जगह शहादत का इतिहास लिख डाला था। ऐसी ही एक घटना पटना के सचिवालय पर हुई थी। अगस्त क्रांति के दौरान फिरंगी हुकूमत के प्रति सचिवालय पर तिरंगा फहराने के क्रम में पटना में सतीश सहित सात शहीद छात्र अंग्रेजों की गोलियों के शिकार हुए थे। पंचायत के मुखिया काशीनाथ चौधरी ने बताया कि राजधानी पटना के पुराने सचिवालय के सामने उन सात शहीदों के स्मारक में शहीद सतीश की प्रतिमा बलिदानों की गाथा सुना रही है। बचपन में जब शहीद सतीश झा शिक्षक सुरेंद्र मिश्र के दरवाजे पर पढ़ते जाते तो उनकी रुचि देश में चल रहे स्वतंत्र संग्राम की बात करने में ज्यादा होती थी। उनकी इस प्रवृत्ति को देख पिता ने स्थानांतरण पर अपने साथ पटना लेकर चले गए। पटना में कॉलेजिएट स्कूल में उनका नामांकन कराया था। महात्मा गांधी के आह्वान पर जब विधानसभा भवन पर तिरंगा फहराने की बारी आई तो सतीश बेधड़क आगे बढ़कर अपने देश की खातिर हंसते-हंसते जान की आहुति दे दी।

----------

खड़हरा निवासी थे सतीश

शहीद सतीशचन्द्र झा का जन्म 25 जनवरी 1925 को बांका के खड़हरा निवासी त्रिपुरा देवी और जगदीश प्रसाद झा के घर हुआ था। शिक्षा ग्रहण के उद्देश्य से वे अपने पिता के साथ पटना चले गए। और मात्र 17 वर्ष की उम्र में ही देश की आजादी के लिए अपनी कुर्बानी दे दी।

----------

मुख्यालय में एक स्मारक तक नहीं

शहीद सतीश की शहादत पर खड़हरा गांव में एक शहीद द्वार, एक बालिका प्रोजेक्ट स्कूल व गांव के पास ही ढाकामोड़ चौक पर एक प्रतिमा स्थल का निर्माण किया गया है। इसके अलावा जिला मुख्यालय में उनका एक स्मारक तक नहीं है। शहीद के भतीजा महेश्वरी झा ने बताया कि परिवार के द्वारा ही झंडोत्तोलन की व्यवस्था की जाती है। जिला प्रशासन की ओर से मात्र प्रतिमा पर माल्यार्पण किया जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.