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आधा समय बीता, केवल तीन फीसद धान की खरीद

बांका। किसानों को धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने में प्रशासन पूरी तरह नाकाम रहा है। सूखा का संकट झेल रहे जिला के किसानों को खरीद का मुर्दा सिस्टम और जख्म दे रहा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 10:12 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 06:15 AM (IST)
आधा समय बीता, केवल तीन फीसद धान की खरीद
आधा समय बीता, केवल तीन फीसद धान की खरीद

बांका। किसानों को धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने में प्रशासन पूरी तरह नाकाम रहा है। सूखा का संकट झेल रहे जिला के किसानों को खरीद का मुर्दा सिस्टम और जख्म दे रहा है। किसानों को गाढ़ी कमाई पर प्रति क्विटल चार सौ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है।

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चुनावी साल में कहां किसानों को बोनस को इंतजार रहता था, वहां न्यूनतम मूल्य भी नसीब नहीं हो रहा है। ऐसे में बिचौलिया मालामाल हो रहा है। अब खरीद सिस्टम का सच देखिए कि 15 नवंबर से ही धान खरीद शुरू हुआ है। मार्च तक खरीद होना है। इस दौरान 80 हजार एमटी धान खरीद किसानों को राहत देना था। अब प्रशासनिक अकर्मण्यता देखिए दो महीना एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी प्रशासन 80 हजार एमटी लक्ष्य का तीन प्रतिशत भी धान खरीद नहीं सका है। अब आधा दिन में प्रशासन को 97 प्रतिशत खरीद का असंभव लक्ष्य सामने पड़ा है। डीसीओ का मानना है कि चुनाव के कारण शुरुआती खरीद सुस्त रही। अब पैक्स अध्यक्षों की राजनीति में खरीद सुस्त है। इससे उलट किसानों की उम्मीद से चुन कर आए पैक्स अध्यक्ष भी किसानों का हित छोड़ अभी अपना हित साधने में जुटे हैं। वे सीसी की सीमा बढ़ाने, प्रोसेसिग फीस बंद करने, शेयर मनी में राशि रखने को लेकर खरीद रोके हुए हैं।

गुरुवार को दैनिक जागरण में छपी धान खरीद की खबर के बाद पैक्स अध्यक्षों का को-ऑपरेटिव बैंक परिसर में बैठक हुई। अध्यक्षों ने खरीद तेज करने का दवाब प्रशासन पर बनाया। बैठक के बाद एक प्रतिनिधि मंडल ने डीएम ने अनुपस्थिति में डीडीसी रवि प्रकाश से मिला। प्रतिनिधि मंडल में अनिल कुमार सिंह, श्रीनारायण शर्मा सलील, प्रेमशंकर सिंहा आदि पैक्स अध्यक्ष शामिल हुए। डीडीसी ने खरीद की समस्या सुनी और अध्यक्षों को सात दिनों के अंदर पैक्स अध्यक्षों की बैठक कर सभी समस्या का समाधान निकालने की बात कही है। को-ऑपरेटिव बैंक के पूर्व अध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने कहा कि पैक्स अध्यक्ष किसानों का धान खरीदने को तैयार बैठे हैं। कई पैक्स में खरीद भी शुरू हुई। प्रशासनिक रवैये से खरीद सुस्त है। पहले पैक्स को सीसी देने में लापरवाही बरती गई। इसकी लिमीट रहने से खरद को गति नहीं मिल रही है। इसके लिए वे डीएम से लेकर मंत्री से शिकायत दर्ज करा चुके हैं।


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