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मौन बना पीबीएस, लोगों की बढ़ी बेचैनी

बांका। गुरुवार को मतदान के बाद शाम से शुक्रवार सुबह तक पीबीएस कॉलेज कैंपस गुलजार रहा। रात भर सभी छह विधानसभा क्षेत्र के 1816 बूथों का ईवीएम मतदान के बाद ढोकर पीबीएस कॉलेज लाया गया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 08:33 PM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 08:33 PM (IST)
मौन बना पीबीएस, लोगों की बढ़ी बेचैनी
मौन बना पीबीएस, लोगों की बढ़ी बेचैनी

बांका। गुरुवार को मतदान के बाद शाम से शुक्रवार सुबह तक पीबीएस कॉलेज कैंपस गुलजार रहा। रात भर सभी छह विधानसभा क्षेत्र के 1816 बूथों का ईवीएम मतदान के बाद ढोकर पीबीएस कॉलेज लाया गया। सुबह दस बजे तक सभी को कॉलेज के तीन हिस्सों में बने अलग-अलग वज्रगृह में बंद कर दिया गया। चुनाव प्रेक्षक एमएस गौड़ा, निर्वाची पदाधिकारी सह डीएम कुंदन कुमार ने तमाम प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में इसे देर शाम तक सील करा दिया है। वज्रगृह सील के बाद इसके सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्रीय बलों को सौंप दी गयी है। पीबीएस कॉलेज के मुख्य भवन में तीन विधानसभा अमरपुर, बांका और कटोरिया, कला भवन में धोरैया तथा केंद्रीय विद्यालय में सुल्तानगंज और धोरैया विधानसभा के ईवीएम को बंद किया गया है। रातभर गुलजार यह जगह अब मौन हो गया है। बांका संसदीय सीट के दस लाख मतदाताओं की ताकत अपने में समेटने के बाद यह मौन हो गया है। इससे प्रत्याशी ही नहीं हर एक समर्थक और लोगों की बेचैनी बढ़ गयी है। पीबीएस के मौन टूटने के लिए अब उन्हें पूरे 35 दिन का इंतजार करना होगा। तब लोगों की बेचैनी की दवा बस जोड़-तोड़ और पन्नों पर जातिगत समीकरण का हिसाब है। अपने पसंदीदा प्रत्याशी के कमजोर पड़ने पर यह पन्ना फिर टुकड़ा-टुकड़ा हो रहा है। बहरहाल, अभी हर बूथ की सटीक जानकारी मिलने के बाद यह आंकड़ा बदल रहा है। इसका स्थाई फैसला सुनने के लिए उन्हें 23 मई तक का इंतजार करना होगा।

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10 लाख मतदाता, 20 प्रत्याशी का देंगे फैसला :

बांका लोकसभा चुनाव में 10 लाख के करीब मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। इतने मतदाता 20 प्रत्याशी की किस्मत तय करेंगे। इसके अलावा नोटा भी कुछ नाराज मतदाताओं का वोट लेने में कामयाब होगा। जानकारों के मुताबिक मुख्य मुकाबले में तीन प्रत्याशी है। इसके अलावा 17 प्रत्याशी में दो को छोड़कर कोई मैदान में डटकर खड़ा भी नहीं हुआ दिख रहा है। उनके हिस्से किसी बूथ पर मत भी आया नहीं दिख रहा है। फिर इन 15 प्रत्याशी और नोटा के हिस्से कम से कम एक लाख मत जाने की बात मानी जा रही है। इसमें झामुमो और बसपा प्रत्याशी का मत जुड़ने के बाद मतों की संख्या डेढ़ लाख के करीब पहुंच जाएगी। बचे 8.5 लाख मतों में मुकाबले के तीनों प्रमुख प्रत्याशी की हिस्सेदारी होगी। निश्चित रूप से इसमें जीतने वाले प्रत्याशी को तीन लाख मत का आंकड़ा निश्चित रूप से छूना होगा। जानकारों के मुताबिक तीनों प्रत्याशी दो लाख मत के आंकड़े को आसानी छू रहे हैं। अब इसमें तीन लाख मत का आंकड़ा छूने वाला ही बांका का शहंशाह बनेगा।


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