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बिहार: फिर हिंदू धर्म में लौटे ईसाई बन चुके 153 वनवासी, जानिए मामला

बांका जिले के सांझोतरी-राजापोखर के 153 आदिवासियों ने जो पहले ईसाई धर्म अपना चुके थे, उन्होंने फिर से हिंदू धर्म अपना लिया है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 11 Nov 2017 08:21 AM (IST)Updated: Sat, 11 Nov 2017 12:02 PM (IST)
बिहार: फिर हिंदू धर्म में लौटे ईसाई बन चुके 153 वनवासी, जानिए मामला
बिहार: फिर हिंदू धर्म में लौटे ईसाई बन चुके 153 वनवासी, जानिए मामला

बांका [राहुल कुमार]। सांझोतरी-राजापोखर में आयोजित पांच दिवसीय रूद्राक्ष महाभिषेक के अंतिम दिन शुक्रवार को पूर्व में ईसाई धर्म अपना चुके 153 आदिवासियों ने फिर से हिंदू धर्म में वापसी की। इन वनवासी परिवारों को भगवा वस्त्र पहना कर अभिषेक कार्यक्रम में सम्मलित कराया गया।

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उन्होंने करीब तीन घंटे तक भगवान शिव की आराधना की। वनवासी महिलाओं ने भी अनुष्ठान पूरे किए। इनमें कुछ वनवासी परिवार रुद्राक्ष अभिषेक में यजमान भी बने। 

धर्म जागरण के प्रांत संगठन मंत्री सूबेदार सिंह ने खुले मंच से वनवासी परिवारों की घर वापसी की घोषणा की। इस दौरान नीमच के महामंडलेश्वर सुरेशानंद, बिहार के कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार, राजस्व मंत्री रामनारायण मंडल, पूर्व सांसद पुतुल कुमारी सहित बड़ी संख्या में साधु संत व आरएसएस प्रचारक और हजारों की भीड़ उपस्थित थी।

वनवासी परिवारों ने धारण किया रूद्राक्ष

रूद्राक्ष महाभिषेक स्थल के पास के पथरिया, राजापोखर, चिलकारा, सांगा, चुआपानी, भलजोर टोला, सांझोतरी और डुमरिया गांव के कई आदिवासी और बिहारी ईसाई परिवारों ने घर वापसी की । राजपोखर के वार्ड पार्षद सूरज लाल किस्कू, सादिक लाल किस्कू, नुनूलाल हेम्ब्रम, ताला हेम्ब्रम आदि का नाम इनमें प्रमुख है।

इसके अलावा पथरिया गांव के उद्धव पंडित अपने समाज के कई लोगों के साथ ङ्क्षहदू धर्म में लौटे। वार्ड पार्षद सूरज लाल ने बताया कि आदिवासी परिवार ङ्क्षहदू धर्म ही मानते हैं। कुछ लोगों को भ्रम हुआ था। वे भी अब आकर शिव की पूजा कर रहे हैं।

बोले आयोजन समिति के प्रमुख

आयोजन समिति प्रमुख सूबेदार ङ्क्षसह और सह प्रमुख रामाशंकर ङ्क्षसहा ने बताया कि धर्म जागरण ने इस इलाके में धर्मांतरण के बढ़ते प्रभाव को देख ही रुद्राक्ष अभिषेक कराया। खुशी की बात है कि इस आयोजन से हम कई परिवारों को ईसाई से ङ्क्षहदू धर्म में वापस लाने में सफल हुए हैं। आदिवासी परिवारों ने खुद क्रॉस को त्याग कर रुद्राक्ष को अपनाया। 


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