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कृषि वैज्ञानिकों ने दिए उन्नत खेती के टिप्स

औरंगाबाद । प्रखंड कार्यालय परिसर अंबा में बुधवार को कृषि विभाग द्वारा खरीफ महोत्सव का आयोजन किया गया

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 May 2018 11:04 PM (IST)Updated: Wed, 30 May 2018 11:04 PM (IST)
कृषि वैज्ञानिकों ने दिए उन्नत खेती के टिप्स
कृषि वैज्ञानिकों ने दिए उन्नत खेती के टिप्स

औरंगाबाद । प्रखंड कार्यालय परिसर अंबा में बुधवार को कृषि विभाग द्वारा खरीफ महोत्सव का आयोजन किया गया। महोत्सव का उद्घाटन प्रमुख धर्मेंद्र कुमार, जिप सदस्य अजय भूईंया, जनसेवा परिषद के अध्यक्ष अशोक कुमार ¨सह, कृषि वैज्ञानिक डा. संगीता मेहता, बीएओ प्रदीप कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर की। संचालन कृषि समन्वयक वीरेंद्र कुमार ने की। उपस्थित वैज्ञानिक संगीता मेहता ने किसानों को खरीफ फसल के उत्पादन के लिए उन्नत खेती का टिप्स दिया। कहा कि खरीफ फसलों में मुख्य रूप से संकर मक्का, अरहर, मूंग व उरद की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है। डा. संगीता ने बताया कि अ‌र्न्तवर्ती खेती में एक साथ दो फसलों को लगाया जाता है। दोनों फसल में दूरी बनाए जाते हैं। दोनों फसलों की अलग-अलग पंक्तियों में लगाया जाता है। मक्का के साथ मूंग, उरद, अरहर की खेती एक साथ की जा सकती है। मिट्टी पलटने वाले हल से जून के प्रथम सप्ताह में खेत की तैयारी करें। बीज डालने के पहले जांच ले कि मिट्टी में नमी है अथवा नहीं। नमी का होना आवश्यक है। पौधे की दूरी 75 व 25 सेंटीमीटर होना चाहिए। मक्का का प्रभेद के बारे में बताया कि शक्तिमान 1, शक्तिमान 2, पूसा अगात संकर मक्का, गंगा 11 तथा राजेंद्र संकर मक्का की प्रजाति अधिक उपज के लिए उपयुक्त हैं। मूंग का प्रभेद में पूसा विशाल, पूसा 105, पीएस 16 तथा सोना। उरद का टाइप 9, पंतयू 26 उपज के लिए ठीक है। बीजोपचार वैज्ञानिक ने किसानों से कहा कि वे बीजोपचार के लिए दो ग्राम प्रतिकिलो की दर से करें। राइजोबियम दवा से उपचारित करने की बात बताई। फसल के लिए पोषक तत्व

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मक्का के लिए प्रति एकड़ 60 किलोग्राम नाइट्रोजन, स्फूर 30 किलोग्राम, पोटास 20 किलोग्राम दें। ¨जक व सल्फेट की मात्रा देना आवश्यक है। मक्का में ¨सचाई प्रबंधन खरीफ मक्का में 5 से 6 ¨सचाई की आवश्यकता पड़ती है। खेत में नमी कम न हो इसका ख्याल रखा जाना चाहिए। खर पतवार पर नियंत्रण करें। खरीफ फसल में रोग अधिक लगते हैं। मक्का में कजरा कीट का आक्रमण ज्यादा देखा गया है। भुट्टा छिद्रक कीट पर भी नियंत्रण रखें। इसके अतिरिक्त पत्रलांछन, जीवाणु जनित तथा सड़न, हरदा रोग प्रमुख हैं। मूंग में लगने वाले कीट का रोकथाम के लिए समय-समय पर विशेषज्ञों का मदद लें।


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