सूर्योपासना का केंद्र है हसपुरा का प्राचीन सरोवर
धार्मिक मान्यताओं से प्रसिद्ध व आस्था का केन्द्र के रूप में प्राख्यात हसपुरा का तालाब वर्षों से सूर्यो
धार्मिक मान्यताओं से प्रसिद्ध व आस्था का केन्द्र के रूप में प्राख्यात हसपुरा का तालाब वर्षों से सूर्योपासना का केंद्र रहा है। यह तालाब चौराही रोड में स्थित है। छठ के लिए प्रख्यात होने के कारण छठिहारा तालाब के नाम से प्रसिद्ध है। हसपुरा पंचायत एवं आसपास के श्रद्धालु इसी तालाब पर कार्तिक व चैत में छठव्रत करते हैं। छठ पर्व में तालाब के घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। यहां वर्षों से सूर्य के अर्घ्य देने की परंपरा चली आ रही है। श्रद्धालु इन दिनों तालाब की सफाई में लगे हैं। तालाब के पास में ही करोड़ों की लागत से एक भव्य सूर्यकुंड तालाब निर्माण हो रहा है। छठ के मौके पर पहला अर्घ्य को मंदिर के समीप प्रत्येक वर्ष भजन कीर्तन का आयोजन होता है। मान्यता है कि सच्चे मन से यहां जो भी श्रद्धालु छठ व्रत करते हैं। उनके द्वारा मांगी गईं मन्नत अवश्य पूरी होती है। कार्तिक छठ के मौके पर भीड़ होती है। बुजुर्ग ग्रामीण बताते हैं कि 70 वर्ष पूर्व हसपुरा में हैजा, प्लेग व मलेरिया फैल गई। लोगों की मौत होने लगी। गांव में हाहाकार मच गया। लोग डरने लगे। ग्रामीण को समझ से बाहर हो गया। रोगों की मुक्ति के लिए ग्रामीण इधर उधर भटकने लगे। किसी के कहने पर वहां पर तालाब निर्माण कराया गया। जब से उस तालाब में मन्नत मानकर छठ प्रारंभ हुआ सभी रोग धीरे धीरे समाप्त हो गया। तब से आज तक वहां छठ होने की परंपरा कायम है। श्रद्धालु बताते हैं कि अन्य तालाब व घाटों से इसका महत्व अधिक है जिस कारण भीड़ होती है। तालाब के कुछ जगहों पर घाट का निर्माण हुआ है। विधायक मनोज शर्मा के एच्छिक निधि से भी घाट का निर्माण हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि चारों तरफ पूरे तालाब में घाट निर्माण हो जाए तो श्रद्धालुओं को परेशानी दूर हो जाएगी। विधायक ने कहा है कि तालाब और घाट धर्म व श्रद्धा से जुड़ा हुआ है।