छह वर्षो में भी पूरी नहीं हो सकी थाना भवन की जांच
जिले के चार थानों में भवन का निर्माण छह वर्षों से अधूरा पड़ा है। छह वर्ष में भी कार्य कराने वाली एजेंसी पुलिस भवन निर्माण निगम पुलिस मुख्यालय एवं जिला पुलिस की सुस्त चाल से थाना भवन का निर्माण की गुणवत्ता जांच नहीं हो सकी है और भवन का
औरंगाबाद। जिले के चार थानों में भवन का निर्माण पिछले छह वर्षों से अधूरा पड़ा है। छह वर्ष में भी कार्य कराने वाली एजेंसी पुलिस भवन निर्माण निगम, पुलिस मुख्यालय एवं जिला पुलिस की सुस्त चाल से थाना भवन का निर्माण की गुणवत्ता की जांच नहीं हो सकी है, और भवन का निर्माण आजतक अधूरा पड़ा है। है। दरअसल वर्ष 2012 में तत्कालीन एसपी सिद्धार्थ मोहन जैन के द्वारा ढिबरा,गोह, मदनपुर, नवीनगर समेत अन्य थानों में बन रहे भवन की गुणवत्ता की जांच के लिए आइआइटी रुड़की को एक पत्र भेजा गया था। एसपी के भेजे गए पत्र के बाद आज तक भवनों की जांच प्रक्रिया लंबित पड़ा है। सभी थाना भवन का निर्माण कार्य जांच की जाल में इस कदर फंस गया कि छह वर्ष गुजर गया पर आज तक जांच पूरी नहीं हो सकी है। जांच नहीं होने से ढिबरा एवं गोह को नया भवन नहीं मिल सका है। ढिबरा थाना नक्सलियों के निशाने पर है। नक्सलियों ने इस थाना पर कई बार फायरिग कर चुके हैं। आज तक यह थाना दो कमरों की जर्जर सरकारी भवन में संचालित हो रहा है। यही हाल गोह थाना का भी है। बताया जाता है कि वर्ष 2012 में एसपी की पुलिस भवन निर्माण निगम के अभियंता से हुए विवाद के बाद एसपी ने निर्माणाधीन थाना भवनों की गुणवत्ता की जांच के लिए आइआइटी रुड़की को पत्र लिखा था। तब से आज तक पुलिस भवन निर्माण निगम, पुलिस मुख्यालय और जिला पुलिस के अधिकारी थाना भवनों को पूरा कराने के प्रति गंभीर नहीं हुए। केवल आजतक पत्राचार होता रहा। पुलिस भवन निर्माण निगम के कनीय अभियंता अजय कुमार ने बताया कि सभी थाना भवनों का निर्माण जांच में फंसा है जिस कारण अधूरा पड़ा है। अभी तक जांच नहीं हुई है और न ही अधूरा भवन को पूरा करने से संबधित कोई आदेश प्राप्त हुआ है।